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चिदंबरम को ED की हिरासत से राहत, पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फैसला - आईएनएक्स मीडिया स्कैम

पी चिदंबरम के केस में सुप्रीम कोर्ट पांच सितंबर को फैसला सुनाएगी. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) चिदंबरम को हिरासत में नहीं ले सकेगी. जानें पूरा विवरण

पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

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Published : Aug 29, 2019, 5:55 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:31 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अपील पर पांच सितंबर को फैसला सुनाया जायेगा. चिदंबरम ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दे रखी है.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले संरक्षण की अवधि भी पांच सितंबर तक बढ़ा दी है.

इस बीच, पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को वे दस्तावेज और सामग्री सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है जिसे वह इस मामले में न्यायालय के अवलोकन के लिये देना चाहता था.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने सोमवार तक सीबीआई की हिरासत में रहने की न्यायालय में पेशकश की. लेकिन पीठ ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया क्योंकि सालिसीटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि हिरासत की अवधि तो सिर्फ सीबीआई अदालत ही बढ़ा सकती है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस सवाल पर निर्णय लेगी कि क्या उसे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का अवलोकन करना चाहिए.

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इससे पहले, दिन में सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय में बहस करते हुये कहा कि धन शोधन 'समाज और राष्ट्र' के खिलाफ अपराध है और आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में बड़ी साजिश का पता लगाने के लिये पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है.

मेहता ने पीठ से कहा कि वह फिलहाल चिदंबरम से जांच के दौरान जुटाई गई सामग्री को नहीं दिखा सकता क्योंकि धन किन-किन हाथों से गुजरा इससे जुड़े साक्ष्य को नष्ट किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि 'अग्रिम जमानत के स्तर पर आरोपी को सामग्री, सूत्र और साक्ष्य दिखाने की कोई जरूरत नहीं है' और जांच करना जांच एजेंसी का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र है. उन्होंने दलील दी , 'धन शोधन समाज और राष्ट्र के खिलाफ अपराध है और समूची साजिश का पता लगाना जांच एजेंसी का अधिकार और कर्तव्य है.'

मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत लगातार कहती रही है कि आर्थिक अपराध गंभीर से गंभीरतम प्रकृति के हैं, भले ही उनके लिये सजा कुछ भी निर्धारित हो.

मेहता ने कहा, 'मेरे पास 2009 के बाद और अब भी (आईएनएक्स मीडिया मामले में) धन शोधन जारी रहने की बात दर्शाने के लिये सामग्री है.' उन्होंने कहा कि निदेशालय चिदंबरम से हिरासत में और अग्रिम जमानत के सुरक्षा कवच के बिना पूछताछ करना चाहता है.

आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में सीबीआई ने 15 मई 2017 को दर्ज एक प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि 2007 में वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं.

जांच ब्यूरो की प्राथमिकी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी 2017 में धन शोधन का मामला दर्ज किया था.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. चिदंबरम ने दोनों ही आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. लेकिन चूंकि इसके बाद चिदंबरम की गिरफ्तारी हो गयी थी, इसलिए न्यायालय ने सीबीआई के मामले में दायर अपील को निरर्थक करार देते हुये उसका निस्तारण कर दिया था.

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न्यायालय इस समय प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चिदंबरम की अपील पर सुनवाई कर रहा था.

इससे पहले बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि बढ़ा दी. इस आदेश के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई से पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को गुरुवार, 29 अगस्त तक संरक्षण मिला था.

गौरतलब है कि चिदंबरम फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं. बीते 26 अगस्त को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने उनकी रिमांड चार दिनों के लिए बढ़ा दी थी.

बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने बुधवार, 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इसके बाद चिदंबरम को पांच दिनों की सीबीआई रिमांड पर भेजा गया था.

Last Updated : Sep 28, 2019, 6:31 PM IST

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