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दूसरे प्रदेश के लोग भोले-भाले आदिवासियों को थमा रहे बंदूक - अनुसुइया उइके

दीपावली पर्व पर गृह जिले छिंदवाड़ा आईं छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने नक्सलवाद को रोकने के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों पर चर्चा की.

Chhattisgarh Governor Anusuiya Uike
ईटीवी भारत से की विशेष बातचीत

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Published : Nov 16, 2020, 3:24 PM IST

छिंदवाड़ा : दीपावली मनाने अपने गृह जिले छिंदवाड़ा आईं छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में पनप रहे नक्सलवाद और उनको रोकने के लिए हो रहे सरकार के प्रयासों पर चर्चा की.

दूसरे प्रदेशों के माओवादी आकर आदिवासियों को थमा देते हैं बंदूकें

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी भोले-भाले हैं. आज भी आदिवासी इलाकों में विकास की कमी है, जिसे ढाल बनाकर दूसरे प्रदेश के माओवादी इन भोले-भाले आदिवासियों के हाथों में बंदूक थमा देते हैं. उनको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राजभवन समय-समय पर सरकारों को प्रयास करने के लिए निर्देश देता है.

राज्यपाल अनुसुइया उइके से खास बातचीत.

बालाघाट की नक्सली घटना पर भी MP के सीएम को लिखा था पत्र

कुछ दिनों पहले बालाघाट में भी नक्सली हमला हुआ था, जो कथित रूप से फर्जी करार दिया गया था. जिसको लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखते हुए निष्पक्ष जांच कराने की बात कही थी. राज्यपाल ने बताया कि इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने एक कमेटी भी गठित की है और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का भी एलान किया है. इस मामले में कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी कि आखिर सत्यता क्या है.

केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कर रही काम, कोरोना काल में धीमा हुआ प्रयास

राज्यपाल उइके ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राज्य सरकार भी प्रयास कर रही है, हालांकि, कोरोना काल के दौरान काम थोड़ा धीमा हुआ है, लेकिन अब फिर से इन इलाकों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, ताकि लोग गलत रास्ता अख्तियार ना कर सकें.

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मुख्यधारा से जुड़ रहे माओवादियों ने की बंदूक से परहेज

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से देखा गया है कि छत्तीसगढ़ में अब माओवादी खून-खराबा से परहेज करने लगे हैं, जिसका नतीजा है कि काफी मात्रा में माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं. वहीं, इनको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं. उनके इलाकों में रोजगार भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं और मूलभूत सुविधाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है. उनका प्रयास है कि छत्तीसगढ़ जल्द ही नक्सलमुक्त राज्यों की श्रेणी में हो.

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