भारत के तीनों दिशाओं में समुद्र की उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए भारत को अवसर प्रदान करता है. कई राष्ट्रों को समुद्री मार्गों के माध्यम से कच्चा तेल और साबुत अनाज की आपूर्ति की जाती है. समुद्री मार्ग में किसी प्रकार की गड़बड़ी पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. इसलिए, विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि सरकार देश के नौसैनिक बेड़े को सुदृढ़ करें. समुद्र के साथ-साथ, भारत में अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप जैसे द्वीप हैं. क्षेत्रीय जलमार्गों में विदेशी बेड़े को प्रवेश करने से रोकने के लिए निरंतर निगरानी की आवश्यकता है. केवल कुछ ही माह पूर्व, एक चीनी जहाज़ बिना कोई स्पष्टीकरण दिए अंडमान में प्रवेश कर गया था. इसे भारतीय नौसेना के कड़े प्रतिरोध के बाद ही पीछे हटना पड़ा था. इस तरह की आशंकाएं हैं कि कम से कम सात से आठ चीनी सबमरीन नियमित रूप से भारतीय तटों का सर्वेक्षण कर रहे हैं.
अंडमान सागर मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से भारतीय महासागर के पूर्वी भाग और पैसिफ़िक महासागर को जोड़ता है. अंडमान द्वीपमाला भारत को रक्षा निगरानी को सुदृढ़ स्थिति में रखने के लिए सहायता कर रहा है. चीन मध्य एशिया से मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से तेल आयात करता है. चीन तर्क देता रहा है कि दक्षिण चीन सागर उसका अपना है, जबकि भारतीय महासागर के स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल परियोजना ने म्यांमार को अपना निकट सहयोगी भी बना लिया है. चीनी सरकार ने म्यांमार के क्यौकप्यु तट से चीन के कुनमिंग प्रांत तक तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए एक पाइपलाइन का निर्माण किया है. चीन की योजना मलक्का जलडमरूमध्य में किसी प्रकार की गड़बड़ी की स्थिति में इस मार्ग के माध्यम से तेल की आपूर्ति करना है. हालांकि, भारतीय सैन्य स्रोत चीन के बारे में अत्यधिक आशंकित हैं कि वह भारत, म्यांमार और इंडोनेशिया के बीच अवस्थित अंडमान सागर पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहा है जिस पर उसका कोई अधिकार नहीं है.
भारत का म्यांमार के साथ निकट का सम्बन्ध है. उत्तरपूर्व के कई सैन्य शिविर म्यांमार में शरण ले रहे हैं. दोनों राष्ट्रों ने ऑपरेशन सनशाइन के नाम से कई उग्रवादी समूहों को नष्ट करने के लिए एक साथ काम किया है. म्यांमार के जल में चीन का प्रवेश नई दिल्ली के माथे पर चिंता की लकीरें डाल रहा है. चीन जिसने पहले ही पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हम्बनटोटा में अपने सैन्य अड्डे स्थापित कर लिए हैं, अब भारतीय महासागर में अपनी उपस्थिति स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत ने चीन के आक्रमणों को रोकने के लिए एक चतुर्भुज संधि किया है. अमेरिका की राय है कि भारत चीन को रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है. भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और उसके लिए, नौसेना को सुदृढ़ करना चाहिए.