रायपुर : कोरोना संक्रमण को मात देने में अहम कदम उठाने के लिए जिस छत्तीसगढ़ की तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रपति ने की थी, आज उस प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 1200 के करीब पहुंच गया है.
राज्य सरकार कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी किए जाने के दावे तो कर रही है, लेकिन इन दांवों की सच्चाई खुद सरकार के नुमाइंदे भी नहीं बता पा रहे हैं.
गर्भवती महिलाओं के आंकड़े मौजूद नहीं क्वारंटाइन सेंटर में गर्भवती महिलाओं के आंकड़े मौजूद नहीं
इसका उदाहरण इस मामले से भी देखने को मिल रहा है कि राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं को अलग से क्वारंटाइन करने की व्यवस्था किए जाने के आदेश दिए, ताकि गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके. इस आदेश की पोल इसी बात से खुलती नजर आ रही है कि शासन-प्रशासन के पास इस बात के आंकड़े ही नहीं हैं कि प्रदेश के क्वारंटाइन सेंटर में कितनी गर्भवती महिलाओं को ठहराया गया है. ऐसे में उनके लिए समुचित व्यवस्था करना दूर की बात है.
पढ़े:छत्तीसगढ़ : गर्भवती महिलाओं के लिए पहला क्वारंटाइन सेंटर
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए खास देखभाल के निर्देश
प्रदेश के अलग-अलग जिलों के क्वारंटाइन सेंटर में दूसरे राज्यों से आई गर्भवती महिलाओं के रखे जाने के मामले सामने आ रहे हैं. कुछ क्वारंटाइन सेंटरों में इन गर्भवती महिलाओं का प्रसव भी कराया गया है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. क्वारंटाइन सेंटर में रखी गई गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी की जानकारी जब स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को हुई तो उन्होंने तुरंत स्वास्थ्य विभाग को क्वारंटाइन सेंटर में रखी गई गर्भवती महिलाओं की अलग से और उचित देखभाल करने के निर्देश दिए.
मंत्री के आदेश पर गंभीर नहीं स्वास्थ्य विभाग
मंत्री के इस आदेश का स्वास्थ्य विभाग ने अब तक पालन ही नहीं किया है. इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के महकमे से जानने की कोशिश की तो अधिकारी ने आंकड़ें उपलब्ध नहीं होने की बात कही.
हालांकि, आदेश के बाद कागजों पर गर्भवती महिलाओं को क्वारंटाइन सेंटर में रखने की योजना बना ली गई है. स्वास्थ्य विभाग के PRO अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को तीन वर्गों में बांटा गया है. शुरू के तीन महीने वाली गर्भवती महिलाओं को अलग, छह माह की गर्भवती महिलाओं को अलग और नौ माह की गर्भवती महिलाओं को उनकी स्थिति के आधार पर बांट कर उनकी देखभाल की जा रही है.
सिर्फ फाइलों में व्यवस्थाओं का क्रियान्वयन
अब देखने वाली बात है कि शासन-प्रशासन की तरफ से गर्भवती महिलाओं को रखने और उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए किस तरह से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए जाता है. क्योंकि न तो इनके पास गर्भवती महिलाओं के आंकड़े हैं और न ही उन्हें रखने के लिए अलग से कोई व्यवस्था की गई है, ऐसे में व्यवस्थाएं सिर्फ फाइलों में ही नजर आ रही हैं.