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नवरात्र विशेष : जानिए, कर्नाटक के मैसूर दशहरे में कैसी हैं तैयारियां

कर्नाटक के मैसूर के दशहरे की चर्चा विदेशों तक होती है. होनी भी चाहिए, क्योंकि ऐसा भव्य आयोजन शायद ही कहीं होता होगी. कल से दशहरे की शुरुआत हो रही है. आइए जानते हैं इस त्योहार से जुड़े कुछ खास तथ्य.

मैसूर दशहरा
मैसूर दशहरा

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Published : Oct 16, 2020, 10:07 PM IST

बेंगलुरु : देश के कुछ सबसे मशहूर त्योहारों में कर्नाटक के मैसूर का दशहरा भी शामिल है. यह नवरात्र में मनाए जाने वाले त्योहारों में सबसे बड़ा है. इसके बाद दशमी को एक हाथी देवी को महल से बन्नी मंतब लेकर जाता है. कोरोना के कारण राज्य सरकार ने कई प्रतिबंध लागाए हैं और सभी को दिशानिर्देश दिए गए हैं. कल से नवरात्र शुरू हा रहा है और यह त्योहार भी.

चामुंडी पहाड़ी पर पूजा के बाद मैसूर के राजा के महल में सिंहासन की पूजा की जाएगी. चामुंडी पहाड़ी पर होने वाली पूजा करीब आधे घंटे चलेगी और इसका शुभारंभ डॉ सीएन मंजुनाथ करेंगे. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बीएस येदीयुरप्पा समेत तीन कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे.

दशहरे की तैयारियां

शाम को मैसूर पैलेस में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा करेंगे. कोरोना के कारण इसमें आम लोग शामिल नहीं हो पाएंगे लेकिन वह कार्यक्रम का प्रसारण देख सकते हैं.

दशहरे की तैरियां

दशहरे के लिए हाथियों को प्रशिक्षण

इस बार का दशहरा पाबंदियों के साथ मनाया जाएगा. इस दौरान मुख्य आकर्षण हाथी होंगे, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. यह प्रथा 400 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है और अब हाथी इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं. इस वर्ष अभिमन्यु, विक्रम, विजय, गोपी और कावेरी नाम के हाथी दशहरा में भाग लेंगे.

कोरोना पर जागरूक करेंगी लाइटें

दशहरा के लिए मैसूर को लाइटों से सजा दिया गया है, जिसका खर्च करीब तीन करोड़ रुपये आया है. करीब 50 किलोमीटर के शहर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजा दिया गया है. कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शहर के कुछ हिस्सों को उसी थीम पर सजाया गया है.

जागरूकता को ध्यान में रखते हुए एलईडी डिस्प्ले लगाए गए हैं, जिनपर फेस मास्क, सेनिटाइजर, सफाई और सामाजिक दूरी से जुड़े चित्र दिखाए जाएंगे.

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शरद नवरात्र मनाते थे मैसूर के राजा
शरद नवरात्र दशहरा को ही कहते हैं. जो कार्यक्रम महल के अंदर आयोजित किए जाते थे उन्हें शरद नवरात्र कहा जाता था और महल के बाहर उसी को दशहरा कहा जाता है. मैसूर के राजा महल में दशहरा मनाया करते थे, इसलिए आज भी महल में पूजा की जाती है.

कल सवेरे आसन से सोने के शेरों को बांधा जाएगा और उसके बाद उसे सिंहासन के नाम से जाना जाएगा. कल ही हथियों और घोड़ों की भी पूजा की जाएगी. सभी अनुष्ठानों के पूर्ण होने के बाद वाडियार वंशज सिंहासन की पूजा करेंगे और खास दरबार को शुरू करेंगे.

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