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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी

केंद्र सरकार ने इको फ्रेंडली परिवहन के दृष्टिकोण को देखते हुए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों की मंजूरी दी है. इनमें से महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें मिलेंगी.

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Published : Sep 25, 2020, 3:02 PM IST

Prakash Javadekar
प्रकाश जावड़ेकर

नई दिल्ली : देश में पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन जैसी चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोशिशें चल रही हैं. मोदी सरकार ने 'फेम इंडिया' के दूसरे चरण में महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ के लिए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है.

वहीं, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिंग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार पर्यावरण अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

जावड़ेकर ने शुक्रवार को फेम इंडिया के दूसरे चरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है.'

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि कुल 670 बसों में से महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें देने का निर्णय लिया गया है. केरल सहित बाकी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन शुरू कर रहे हैं. इसके बाद देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियां बहुत बड़े पैमाने पर चलने लगेंगी.

दरअसल, मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल, 2015 से फेम इंडिया योजना लागू की है. इस योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल, 2019 से अगले तीन वर्षों के लिए शुरू हुआ है. इस योजना पर 2021-22 तक कुल 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है.

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यह चरण सार्वजनिक और साझा परिवहन के विद्युतीकरण का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करता है और सब्सिडी के माध्यम से, लगभग 7,000 इलेक्ट्रिक बसों, पांच लाख ई-3 व्हीलर व 55,000 ई-4 व्हीलर पैसेंजर कारों और 10 लाख ई-टू व्हीलर का समर्थन करने का लक्ष्य रखता है.

इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है. इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरुआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने के साथ ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है.

सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी.

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