नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एक एलजी पॉलिमर कंपनी में खतरनाक जहरीली गैस के रिसाव होने से इसके आस-पास के क्षेत्रों में लोगों की चिंता बढ़ गई है. बता दें कि इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. इस हादसे की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एक साल तक पीड़ितों के स्वास्थ्य की जांच करने का आदेश दिया है.
इस संबंध में केंद्र सरकार ने एक टीम नियुक्त की है, जिसमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनईईआरआई) और आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एपीपीसीबी) के विशेषज्ञ शामिल हैं. इन अधिकारियों ने कई सिफारिशें की हैं, जिन्हें सख्ती से लागू किया जा रहा है.
इस टीम ने इस ग्रसित क्षेत्र में अध्ययन के बाद केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें बताया गया है कि जमीन से 1.5 से 4.5 फीट की ऊंचाई पर स्टाइलिन की सघनता को मापा गया.
इस अध्ययन में पाया गया कि सड़कों और खुले क्षेत्र में इसका मूल्य शून्य है. हालांकि, कुछ बंद घरों में 1.7 पीपीएम स्टाइलिन पाया गया है.
टीम ने कहा कि उचित वेंटिलेशन और सफाई के बाद लोग अपने घरों में जा सकते हैं. इस गैस से प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य की एक साल तक जांच की जाएगी.
इस क्षेत्र के तीन किमी के दायरे के सभी किचन गार्डन और आस-पास के खेतों की फल और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही यह फल और सब्जियां मवेशियों को भी नहीं खिलाई जाएगी.
जांच की रिपोर्ट आने तक इन क्षेत्रों का दूध और इससे बनने वाली सामाग्री का भी उपयोग नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही खुले पानी के स्त्रोतों का भी उपयोग नहीं किया जाएगा.
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बनाई गई समिति इस क्षेत्र की हवा, पानी और मिट्टी की निगरानी करेगी.