श्रीनगर:केंद्र सरकार ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूमि की बिक्री और खरीद के लिए नए कानूनों को अधिसूचित कर दिया.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तृतीय आदेश, 2020 के तहत, सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किसी भी भारतीय नागरिक के लिए भूमि खरीदने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है, जो अनुच्छेद 370 से पहले संभव नहीं था.
नए जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में सरकार ने कहा कि भूमि बेचने वाले को राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए.
नए आदेश के अनुसार, राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1990 की मौजूदा धारा 30 और भाग VII को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था.
केंद्र ने 11 मौजूदा भूमि कानूनों को निरस्त कर दिया है. जिसमें जम्मू-कश्मीर प्रिवेंशन ऑफ फ्रैग्मेंटेशन ऑफ एग्रीकल्चरल होल्डिंग्स एक्ट, 1960, जम्मू-कश्मीर भूमि रूपांतरण और बागान उन्मूलन निषेध अधिनियम, 1975, जम्मू-कश्मीर पूर्व खरीद अधिकार अधिनियम, 1936 जम्मू-कश्मीर टेनेंसी (निष्कासन कार्यवाही का ठहराव) अधिनियम 1966 की धारा 3, जम्मू-कश्मीर यूटिलाइजेशन ऑफ लैंड एक्ट, 2010 और जम्मू-कश्मीर अंडरग्राउंड यूटिलिटीज (भूमि में उपयोगकर्ता के अधिकारों का अधिग्रहण) एक्ट शामिल हैं.
यह भी पढ़ें- महबूबा मुफ्ती के बयान से खफा बीजेपी ने पीडीपी ऑफिस पर फहराया तिरंगा
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर एलीनेशन ऑफ लैंड एक्ट, 1995 और जम्मू-कश्मीर बिग लैंड एस्टेट्स एक्ट और जम्मू-कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेग्यूलेशन) एक्ट, 1956 और जम्मू-कश्मीर चकबंदी अधिनियम, 1962 को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है.
नए कानूनों के अनुसार, सरकार और उसकी एजेंसियों के अलावा भूमि का स्वामित्व किसी को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है. साथ ही, कृषि भूमि केवल एक कृषक को बेची जा सकती है.