हैदराबाद : आईआरईएनए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2010 से 2018 के बीच भारत ने सौर ऊर्जा में लगने वाली लागत को काफी कम किया है. आज पूरी दुनिया में सबसे अधिक सौर ऊर्जा से सस्ती बिजली भारत में बनाई जाती है. यह दुनिया का एक मात्र देश है, जिसने अपनी लागत घटाई है. 2010 में भारत की क्षमता मात्र 10 मेगावाट की थी, लेकिन 2016 में 600 गुना अधिक यानी 6000 मेगावाट की क्षमता प्राप्त कर ली. मार्च 2019 तक भारत की क्षमता 30 गीगा वाट तक पहुंच गई. हमने 2022 के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उसका 38 फीसदी हिस्सा हमने अब तक पा लिया है. भारत ने यह लक्ष्य सरकार और निजी भागीदारी की बदौलत हासिल की है.
सफलता में सरकार की भूमिका
सरकार ने दो प्रमुख संस्थान बनाए. पहला है नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और दूसरा है- सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई).
सम्मिलित प्रयास. आक्रामक नीति. नीतियों का दृढ़ता से पालन. इसकी बदौलत ही भारत पांचवां सबसे बड़ा सोलर इंस्टॉलर देश बन गया.
2010 में राष्ट्रीय सोलर मिशन का गठन. तब एक यूनिट की लागत 17 रु. पड़ती थी, आज यह लागत घटकर 2.44 रु. हो गई है.
यह प्रतिस्पर्धी टैरिफ-आधारित बोली द्वारा संभव हुआ है. इसे एसईसीआई, राज्य और केंद्र सरकार ने निविदाओं के लिए अपनाया है. राज्य की निविदा में भी यह बड़ी भूमिका निभा रहा है. बिजली राज्य का विषय है. तमिलनाडु और कर्नाटक ने सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए बैंकिंग सुविधाओं को बेहतर बनाया है. हाल ही में यूपी और हरियाणा ने इसी नीति को अपनाया है.
समय-समय पर मंत्रालय ने लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया.
आरपीओ को राज्य डिस्कॉम के साथ-साथ बड़े बिजली उपभोक्ताओं पर ’ग्रीन’ स्रोतों से उत्पन्न बिजली खरीदने के लिए लगाया गया था. हालांकि राज्य स्तर पर इसे लागू करने में उतनी सफलता नहीं मिली.
2010 से सरकार और जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी और प्रोत्साहन सौर ऊर्जा को अपनाने में सहायक रहे हैं. रूफ टॉप सौर संयंत्र काफी तेजी से विकसित हुआ.
2010 और 2015 के बीच कर प्रोत्साहन दिया गया. शुरुआती दौर में रूफटॉप सौर परियोजनाओं के लिए 30 फीसदी तक सब्सिडी दी गई. हालांकि, अब इसे गैर लाभकारी और सरकारी भवनों तक सीमित कर दिया गया है.
उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने क्षेत्र के उच्च विकास को सुनिश्चित करने के लिए कस्टम और उत्पाद शुल्क लाभ की अनुमति दी. जीएसटी लागू होने से, इनमें से कुछ लाभ उपलब्ध नहीं हैं. सेफगार्ड ड्यूटी लगाने से पीवी मॉड्यूल पर आयात लागत बढ़ गई है.