पानपीत: आरटीआई कार्यकर्त्ता पीपी कपूर ने एक और बड़ा खुलासा किया है. पिछले साल पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवानों अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, लेकिन भारत सरकार अब शहीदों के नाम बताने को तैयार नहीं है और ना ही ये बताने को तैयार है कि भारत सरकार ने इन्हें शहीद माना भी या नहीं ?
इतना ही नहीं पुलवामा अटैक की जांच रिपोर्ट भी भारत सरकार ने सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है. ये खुलासा हुआ है गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए आरटीआई के जवाब में. आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने पुलवामा अटैक से संबंधित दो अलग-अलग आरटीआई केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत सीआरपीएफ के महानिदेशक को भेजकर कुल पांच बिंदुओं की सूचना मांगी थी.
RTI का ये दिया गया जवाब
सीआरपीएफ महानिदेशालय के डीआईजी (प्रशासन) और जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने अपने जनवरी 2020 के जवाब में मांगी गई सूचना देने से इंकार कर दिया. सूचना सार्वजनिक ना करने के पीछे कारण बताया गया कि आरटीआई एक्ट-2005 के अध्याय-6 के पैरा-24(1) के प्रावधानों अनुसार सीआरपीएफ को भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की सूचना देने से मुक्त रखा गया है.
ये भी पढ़िए:शहीदों के परिवार के लिए BSF की पहल, सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगाकर बना रहे आत्मनिर्भर
पीपी कपूर ने कहा कि सरकार अपनी विफलता को छुपाने के लिए जान बूझकर सूचना सार्वजनिक नहीं कर रही है. एक ओर भारत के 40 से ज्यादा जवान देश की रक्षा के लिए बलिदान देते हैं, लेकिन सरकार उनके नाम तक बताने को तैयार नहीं है.
पीपी कूपर ने लगाए गंभीर आरोप