नई दिल्ली: केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि जम्मू-कश्मीर के अधिकतर भागों में पाबंदियों में ढील दी गई है. घाटी में दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं सामान्य रूप से चल रही हैं.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि लोगों को इंटरनेट की सुविधा देने के लिए कश्मीर घाटी में नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (NIC) में इंटनरेट कियोस्क खोला गया है.
महान्यायवादी केके. वेणुगोपाल ने कहा कि 2016 में जब एक आतंकवादी मारा गया था, पूरे राज्य में एक आक्रोश की लहर थी. तब भी राज्य सरकार ने तीन हफ्तों के लिए इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था. वेणुगोपाल ने इसके साथ ही कहा कि सरकार घाटी में पाबंदीयों में ढील दे रही है.
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से न ही एक गोली चलाई गई है और न ही कोई नागरिक मारा गया है.
उन्होंने अदालत से कहा कि जम्मू-कश्मीर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा में कश्मीर संभाग के 88.75 पुलिस थानों और जम्मू एवं लद्दाख संभागों में 100 प्रतिशत ढील दी गई है.
घाटी में स्वास्थ्य सुविधाएं सामान्य रूप से चल रही हैं, क्योंकि 15 सितंबर तक 10.52 लाख रोगी इलाज कराने के लिए अस्पताल आए.
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उन्होंने उच्चतम न्यायालय से यह भी कहा कि डॉक्टरों ने इस दौरान सिजेरियन डिलिवरी समेत 10,699 बड़ी सर्जरी भी की है.
मेहता ने यह भी कहा कि घाटी के अस्पतालों में जरूरी दवाइयों और अन्य मेडिकल जरूरतों की कोई कमी नहीं है और वहां 90 प्रतिशत मेडिकल दुकानें खुली हुई हैं.