नई दिल्ली : प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी के कुछ देर बाद मोदी ने राम मंदिर निर्माण की 'वृहद योजना' और इसके लिए 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' नामक ट्रस्ट के गठन की लोकसभा में सूचना दी.
बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे जैसे ही सदन की बैठक शुरू हुई, प्रधानमंत्री ने सदस्यों से कहा कि वह 'देश के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विषय' पर सूचना साझा करना चाहते हैं.
इस तरह के अवसर बेहद दुर्लभ होते हैं जब प्रधानमंत्री की ओर से सदन में इस तरह की कोई घोषणा की जाती है.
मोदी ने कहा, 'देश के करोड़ों लोगों की तरह यह विषय मेरे हृदय के करीब है और इस बारे में बात करना मैं अपने लिए एक बड़ा सौभाग्य मानता हूं.'
चूंकि संसद का सत्र चल रहा है, सरकार ने मंत्रिमंडल द्वारा किए गए महत्वपूर्ण निर्णय पर सदन को सूचित करने का फैसला किया.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि मंत्रिमंडल के निर्णय का शनिवार को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव से कोई संबंध है.
मोदी ने कहा कि मंत्रिमंडल का निर्णय राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में गत नौ नवंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप है.
शीर्ष अदालत ने लंबे समय से लंबित इस धार्मिक मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में संबंधित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को इसके वास्ते ट्रस्ट निर्माण के लिए तीन महीने का समय दिया था.
उच्चतम न्यायालय की तीन महीने की समयसीमा चार दिन बाद खत्म होने वाली थी.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर मेरी सरकार ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर विशाल और भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए एक वृहद योजना को आज स्वीकृति दे दी है तथा इसका निर्माण कार्य देखने के लिए 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' नाम से एक ट्रस्ट गठित किया है.'
उन्होंने कहा, 'इस ट्रस्ट के पास राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विषयों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय करने के अधिकार होंगे.'
ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में होगा.
केंद्र ने ट्रस्ट में शामिल ट्रस्टियों के नामों की घोषणा भी कर दी है जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण, जगदगुरु शंकराचार्य, ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (इलाहाबाद), जगदगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (उडुपी के पेजावर मठ से), युगपुरुष परमानंद जी महाराज (हरिद्वार), स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज (पुणे) और विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (अयोध्या) शामिल हैं.
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इसके अतिरिक्त कुछ और न्यासी भी होंगे जिनके नाम हैं: अयोध्या से होम्योपैथिक चिकित्सक अनिल मिश्रा, अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में पटना से के. चौपाल और निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक से महंत दिनेंद्र दास.
दो प्रमुख हिंदू नामित सदस्यों के नामों पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बहुमत से फैसला लेंगे.
एक हिंदू प्रतिनिधि को केंद्र सरकार मनोनीत करेगी, जो आईएएस सेवा में कार्यरत होगा और भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर या उससे नीचे के रैंक का नहीं होगा. उक्त प्रतिनिधि पदेन होगा.
एक हिंदू प्रतिनिधि को उत्तर प्रदेश सरकार मनोनीत करेगी. प्रतिनिधि ऐसा आईएएस अधिकारी होगा जो उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव पद से नीचे के रैंक का न हो. अयोध्या के जिला कलेक्टर इसके पदेन ट्रस्टी होंगे, जो हिंदू होंगे.
यदि अयोध्या का जिला कलेक्टर हिंदू न हो तो अतिरिक्त कलेक्टर, जो हिंदू हो उसे पदेन सदस्य बनाया जाएगा.
राम मंदिर परिसर के विकास एवं प्रशासन से संबंधित समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति न्यासी प्रतिनिधिमंडल करेगा. अध्यक्ष एक हिंदू होगा जो पदेन सदस्य भी होगा.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आग्रह किया है और उसने इस आग्रह को मान लिया है.
शीर्ष अदालत ने अयोध्या मामले का निपटारा करते हुए केंद्र को निर्देश दिया था कि हिन्दुओं के पवित्र शहर में नयी मस्जिद के निर्माण के लिए 'प्रमुख' जगह पर पांच एकड़ का एक वैकल्पिक प्लॉट दिया जाए.
मोदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण और भविष्य में रामलला के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिगृहीत लगभग पूरी 67.70 एकड़ भूमि नए ट्रस्ट 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है.