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केंद्र ने नागालैंड के दो विद्रोही गुटों के बीच युद्ध विराम संधि एक वर्ष के लिए बढ़ाया

नागालैंड में केंद्र सरकार और दो विद्रोही समूहों के बीच युद्धविराम समझौते की मियाद और एक साल के लिए बढ़ा दी गई है. बता दें कि भारत सरकार और नागा विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहल की जाती रही है.

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Published : Apr 15, 2019, 8:59 PM IST

नागालैंड का मानचित्र.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नागालैंड के दो विद्रोही गुटों के बीच युद्ध विराम संधि को और एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है. यह 28 अप्रैल 2019 से लागू होगा. बता दें कि सीजफायर की यह समझौता केंद्र सरकार और और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड(रिफॉर्मेशन) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (नियोकोपा-खितोवी) के बीच हुआ है.

गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि 28 अप्रैल, 2019 से लेकर 27 अप्रैल 2020 तक यानी की एक साल के लिए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (रिफॉर्मेशन) के बीच युद्ध विराम संधि को आगे बढ़ाया गया है.

बता दें कि भारत सरकार और नागा विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहल की जाती रही है. नागा विद्रोहियों के बीच यह समझौता 15 अप्रैल 2019 में साइन किया गया था.

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड / के-खांगो ने भी एक साल की अवधि के लिए 15 अप्रैल, 2019 से केंद्र सरकार के साथ एक नए युद्धविराम समझौते किया है.

NSCN (इसाक-मुइवा) और NSCN (खापलांग) अन्य समूहों में से एक हैं जो नागालैंड में काम करते हैं. जबकि एनएससीएन (आई-एम) ने 1997 में एक युद्धविराम समझौता किया था और तब से इसे बनाए रखा जा रहा था.

लेकिन जून 2015 में मणिपुर में सेना के काफिले पर हमला हुआ था, तब एनएससीएन-के के साथ समझौता टूट गया था, जिसमें 18 सैनिकों की मौत हो गई थी.

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