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कंप्यूटर में मैलवेयर का मामला, सीबीआई की कई राज्यों में छापेमारी - installing malware in computers

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक गिरोह का पर्दाफाश कर छह निजी कंपनियों पर मामला दर्ज किया है. इन कंपनियों पर आरोप है कि यह कथित तौर पर एंटी वायरस के नाम पर लोगों के कंप्यूटर में हानिकारक सॉफ्टवेयर (मैलवेयर) डाल देती थीं.

सीबीआई
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Published : Sep 17, 2020, 6:56 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 8:57 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक गिरोह का पर्दाफाश कर छह निजी कंपनियों पर मामला दर्ज किया है जो कथित तौर पर एंटी वायरस के नाम पर लोगों के कंप्यूटर में हानिकारक सॉफ्टवेयर (मैलवेयर) डाल देती थीं. इसके अलावा एजेंसी ने जयपुर स्थित इनोवाना थिंकलैब्स लिमिटेड और सिस्टवीक सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड तथा नोएडा स्थित बेनोवेलिएन्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा और गुरुग्राम में स्थित सबुरी ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों पर भी छापा डाला. एजेंसी ने जयपुर, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और मैनपुरी में कंपनियों के 10 ठिकानों पर तलाशी ली.

यह कंपनियां लोगों के कंप्यूटर में 'पॉप-अप' संदेश के रूप में सुरक्षा संबंधी फर्जी चेतावनी भेजती थीं जिसके बाद उपभोक्ता इनके झांसे में आकर अपने कंप्यूटर में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर डाल लेता था जो वास्तव में कंप्यूटर के लिए हानिकारक होते थे.

सीबीआई ने इस मामले के संबंध में नई दिल्ली स्थित सॉफ्टविल इंफोटेक लिमिटेड और सबुरी टीएलसी वर्ल्डवाइड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के परिसर पर छापेमारी की.

अधिकारियों ने बताया कि कंपनियां लोगों के माइक्रोसॉफ्ट विंडोज आधारित कंप्यूटरों में सुरक्षा संबंधी फर्जी चेतावनी भेजती थीं.

इन पॉप अप संदेशों में एक कॉल सेंटर का नंबर होता था जहां आरोपी कंपनियों के कर्मचारी कथित तौर पर उपभोक्ताओं को एक एंटी वायरस सॉफ्टवेयर डालने को कहते थे.

उन्होंने कहा कि यह एंटी वायरस सॉफ्टवेयर दरअसल कंप्यूटर के लिए अवांछित हानिकारक सॉफ्टवेयर (पीयूपी) होते थे.

सीबीआई प्रवक्ता आर के गौर ने कहा, 'पीड़ित लोगों को पीयूपी सक्रिय करने के लिए भुगतान करने या सहायता के लिए एक नंबर पर कॉल करने को कहा जाता था. अपने कंप्यूटर को सुचारु रूप से चलाने के चक्कर में पीड़ित इनके जाल में फंस जाते थे.'

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अधिकारियों ने कहा कि कॉल सेंटर के रूप में कंप्यूटर ठीक करने के बहाने पीड़ितों को ऑनलाइन माध्यम से भुगतान करने को कहा जाता था.

Last Updated : Sep 17, 2020, 8:57 PM IST

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