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कोरोना महामारी से अपने जीवन को बचाने के लिए समझदारी आवश्यक - तेलंगाना के हैदराबाद

डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को कोरोना से बचने के लिए अधिक समझ विकसित करनी चाहिए. समझदारी और निवारक कार्यों से हम जीवन को खतरे में डालने से बच सकते हैं.

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Published : Aug 3, 2020, 10:19 AM IST

Updated : Aug 3, 2020, 10:24 AM IST

हैदराबाद : तेलंगाना के हैदराबाद स्थित करीमनगर के एक 52 वर्षीय व्यक्ति काफी समय से मधुमेह से पीड़ित चल रहे थे. चूंकि उनके शरीर में दर्द हो रहा था और उन्हें बेचैनी महसूस हो रही थी, इसलिए उन्होने कोरोना का परीक्षण करवाया, जो नेगेटिव आया. इसके बाद से वह लगातार घर पर ही रह रहे थे. उन्होंने इस दौरान पैरासिटामोल की गोलियां लीं. इस बीच एक दिन अचानक से उन्हें सीने में दर्द होने लगा और उन्होंने स्थानीय अस्पताल से संपर्क किया. अस्पताल ने इसकी पहचान दिल के दौरे के रूप में की और उन्हें हैदराबाद के एक अस्पताल में भर्ती कर दिया.

पहले से हुए परीक्षणों में एंजियोग्राम करने के अलावा उनका चेस्ट सीटी स्कैन किया गया. इसमें कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण पाए गए. उसके बाद उनका RT-PCR टेस्ट करवाया गया जिसमें भी कोरोना की पुष्टि हुई और 10 दिनों तक इलाज करने के बाद वे ठीक हो गए.

वहीं, हैदराबाद का एक 30 वर्षीय युवा को एक सप्ताह तक गले में दर्द और बुखार रहा और जब उसका कोविड परीक्षण किया गया था, तो इसका परीक्षण सकारात्मक था. दवाओं का इस्तेमाल करने के बाद, लक्षण कम और कम हो गए. लेकिन एक हफ्ते के बाद उसे सांस लेने में तकलीफ हुई. इसलिए, उसे एक अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया.

जब 2 डी इको टेस्ट किया गया, तो यह पुष्टि की गई कि उसे मायोकाडाइटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) है. अन्य परीक्षणों में, यह पाया गया कि उसके रक्त वाहिकाओं में सूजन है. बाद में इलाज के दौरान दो दिनों के भीतर उसकी मौत हो गई.

दुनिया के अन्य देशों की तुलना में, भारत में कारोना से ठीक होने के बाद फिर से कोरोना संक्रमित होने की दर सबसे अधिक है. विशेष रूप से तेलंगाना में. हालांकि यहां मरने वालों की संख्या कम है, लेकिन फिर भी कुछ मामलों में समझ की कमी के कारण, लोग खतरनाक लक्षणों की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं.

दुर्भाग्य से, एक मरीज गंभीर स्थिति में अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं. ऐसे में जान जाने का जोखिम काफी अधिक हो गया है. लेकिन ऐसे मामले बहुत कम हैं और ऐसी संख्याओं को और अधिक भी कम करने की आवश्यकता है.

इसके लिए लोगों को अधिक समझ विकसित करनी चाहिए नहीं तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. लेकिन ऐसी समस्याएं ज्यादातर वृद्ध व्यक्तियों में होती हैं, कभी-कभी वे युवाओं में भी पाए जाते हैं, जो बहुत ही खतरनाक है.

अब सवाल यह उठता है कि ऐसा आखिर हो क्यों रहा है ? समस्या की पहचान कब करें? क्या सावधानी बरती जानी चाहिए? यह डॉक्टरों के लिए विषय है कि बहुत कम कारोना सकारात्मक मामलों में, अचानक गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं, जो कभी-कभी मौत का कारण बनती हैं.

विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि अच्छी समझ और निवारक कार्यों से हम जीवन को खतरे में डालने से बच सकते हैं.

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दरअसल, कोरोना वायरस मूल रूप से श्वसन प्रणाली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरस, मेर्स वायरस की तरह, कोरोना भी ज्यादातर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, लेकिन एक बार जब वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे कई परिवर्तनों को सामना करते हैं.

कोरोना प्रभावित 85 फीसदी लोगों में कोई समस्या नहीं होती, भले ही वह कारोना वायरस से संक्रमित हों, साथ ही उनमें कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देता हो. हो सकता है कि ऐसे व्यक्तियों को पता भी न चले के वह संक्रमित हैं कुछ समय बाद उनका शरीर एंटी वायरस विकसित कर ले.

विशेज्ञों का कहना है कि केवल 15 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं, जिनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. उनमें से भी कुछ ही लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं.

बहुत कम व्यक्तियों के केस में, वायरस अपना घातक प्रभाव दिखा रहा है. हालांकि इसके कोई लक्षण नहीं हैं. उनमें से 5 प्रतिशत प्रभावित हैं, जबकि केवल पांच फीसदी लोगों को ही आईसीयू में उपचार दिया गया है.

Last Updated : Aug 3, 2020, 10:24 AM IST

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