नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि हमारे सशस्त्र बल जिस तरह की भी मिसाइल चाहेंगे, उन्हें बनाकर दे दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में किसी भी तरह की मिसाइल तैयार करने की क्षमता हासिल हो चुकी है. ध्यान रहे कि पिछले 40 दिनों में एक के बाद एक करीब दस मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया है.
टारपीडो का परीक्षण
टारपीडो का परीक्षण ओडिशा के तट में व्हीलर द्वीप समूह से किया गया था. यह प्रक्षेपण भारत के लिए अपनी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है. स्मार्ट एक पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो प्रणाली है और यह दुनिया में सबसे तेज है. इसकी रेंज 650 किमी है. यह परीक्षण पांच अक्टूबर को बालासोर में एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से ओडिशा के तट पर किया गया था.
आत्मनिर्भर बना भारत
रेड्डी ने कहा, 'मैं एक बात कहना चाहूंगा कि भारत खासकर पिछले कुछ सालों में मिसाइल सिस्टम के क्षेत्र में जितना आगे बढ़ा है, उससे हमें मिसाइलों को क्षेत्र में संपूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल हो चुकी है. उन्होंने कहा सशस्त्र बलों को जरूरत के मुताबिक हम अब किसी भी तरह की मिसाइल विकसित करने में सक्षम हैं, उन्होंने कहा कि मिसाइल निर्माण क्षेत्र की प्राइवेट कंपनियां भी उच्चस्तरीय हो चुकी हैं. वो अब हमारे साथ साझेदारी करने में सक्षम हो गई हैं.'
पांच हफ्ते में दस मिसाइल टेस्ट
डीआरडीओ ने पिछले पांच हफ्तों में जिन मिसाइलों की टेस्टिंग की उनमें हाइपरसॉनिक मिसाइल शौर्य, बढ़े हुए रेंज की ब्रह्मोस, परमाणु क्षमता युक्त बलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी, हाइपरसॉनिक मिसाइल टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट वीइक्लस, एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम एक और सुपरसॉनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो वेपन सिस्टम शामिल हैं.
प्राइवेट इंडस्ट्री के साथ बढ़ रही साझेदारी
डीआरडीओ वैज्ञानिक लगातार अलग-अलग तरह के सिस्टम पर रिसर्च कर रहे हैं जिनका अब तक आयात होता रहा है. रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ ने देसी कंपिनयों में पूरी तरह तैयार 108 आइटम सेना को मुहैया कराए हैं. डीआरडीओ चीफ ने कहा कि संस्था अब ज्यादा उन्नत और पेचीदा तकनीक पर आधारित सैन्य उपकरण बनाने पर फोकस कर रही है. उन्होंने कहा हम भारत को एक उन्नत तकनीक से युक्त राष्ट्र बनाना चाहते हैं ताकि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया जा सके.