तिरुपुर (तमिलनाडु) : कोरोना वायरस की महामारी फैलने से दुनियाभर के देशों को बीजिंग के साथ अपने व्यापार संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. चीन पर संदेह और अविश्वास बढ़ रहा है. अमेरिका के साथ-साथ अन्य सहयोगी देश भी चीन के वुहान प्रांत से महामारी के फैलने की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. चीन पर आरोप है कि उसने समय रहते विश्व को कोरोना के बारे में सचेत नहीं किया. परिणामस्वरूप, अर्थशास्त्रियों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषकों का मानना है कई देश अपनी उत्पादन इकाई को चीन से बाहर ले जाने के बारे में सोच सकते हैं. ऐसे में भारत उन्हें आकर्षित करने की मजबूत स्थिति में है. उनके अनुसार जो देश चीन को छोड़ रहे हैं, वे भारत में अपनी उत्पादन इकाई स्थापित कर सकते हैं, जिससे भारत में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा, विशेषकर होजरी और रेडीमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में.
इसमें कोई संदेह नहीं कि विश्व में चीन विरोधी भावना का बढ़ता ज्वार बड़ा अवसर ला सकता है. हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इन उभरती हुई स्थितियों का फायदा उठाकर उनसे लाभान्वित हो सकते हैं. होजरी उद्योग में निराशा है. होजरी कारोबार के गढ़ तिरुपुर में निर्यातक और निर्माता यह मान चुके हैं कि यह भारत की क्षमता से परे है.
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (टीईए) के अध्यक्ष राजा शनमुघम ने कहा, 'भारत अगर चीन का पूरा व्यापार हासिल कर भी ले तो भी उसके पास मांग की पूर्ति करने के आवश्यक संसाधन नहीं हैं. हमारे पास प्रशिक्षित जनशक्ति और विनिर्माण क्षमता नहीं है. चीन की वैश्विक होजरी बाजार में हिस्सेदारी 39% है, जबकि भारत की सिर्फ 3.8% है.'
उन्होंने कहा कि वियतनाम और बांग्लादेश भारत से बेहतर विकल्प हैं. उन देशों में फायदा है क्योंकि उनकी सरकारें कई रियायतें देती हैं ताकि उद्योग प्रतिस्पर्धी हो सके. अगर पश्चिमी देश चीन से मुंह मोड़ लेते हैं तो हमें बांग्लादेश और वियतनाम के बाद मौका दिया जाएगा.