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भारत-चीन तनाव के बीच एलएसी पर कैमरा 'वॉर'

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग चार महीनों से तनावपूर्ण स्थिति है. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं. उनके अस्त्र-शस्त्र भी तैनात हैं. एक-दूसरे पर नजर बनाए रखने के लिए कैमरे भी तैनात कर दिए गए हैं. यह सभी कैमरे काफी शक्तिशाली हैं. छह किलोमीटर रेंज तक की तस्वीरें कैद करने में सक्षम हैं. पूरे मामले पर पेश है हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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भारत-चीन तनाव के बीच एलएसी पर कैमरा 'वॉर'

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Published : Sep 2, 2020, 1:50 PM IST

Updated : Sep 2, 2020, 4:42 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से सीमा विवाद को लेकर संघर्ष जारी है. कठिन भूभाग और खराब मौसम वाले 826 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच संघर्ष का एक और आयाम जुड़ गया है. दोनों देशों ने सीमा पर 'कैमरा वॉर' शुरू कर दिया है.

सीमा पर इस प्रकार से कैमरे लगाए गए हैं कि सैनिकों की हरकतों पर हर वक्त नजर रखी जा सके.

आपको बता दें कि हमारी एलीट स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) ने 29-30 अगस्त की मध्यरात्रि को 'हेलमेट' और 'ब्लैक टॉप' नाम के दो उच्च बिंदुओं पर चीन के पीएलए को हटाकर कब्जा कर लिया.

इस कार्रवाई में भारतीय सेना ने चीन के लगाए सभी कैमरों को ध्वस्त कर दिया, जोकि इस कार्रवाई के मुख्य उद्देश्यों में से एक था. ये कैमरे भारतीय बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए थे.

इन उच्च बिंदुओं के एक विशाल क्षेत्र पर हॉक-आई की सतर्कता बनाए रखने के महत्व को समझाते हुए इस इलाके से परिचित एक वरिष्ठ सैन्य सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि 'स्पंगुर गैप', 'हेलमेट' और 'ब्लैक टॉप' पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की उच्च बिंदु हैं. रेजांग ला और रिंचेन ला उस खाई की दाहिनी ओर हैं. यहां से कैलाश रेंज शुरू होती है.

उन्होंने कहा कि इन पीएलए नाइट-विजन कैमरों में एचडी फीचर्स के साथ बहुत ही व्यापक स्वीप मौजूद है. उन कैमरों की प्रभावी रेंज दिन के दौरान लगभग छह किमी और रात में लगभग तीन किमी है.

कैमरे गंभीर रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि निगरानी के अन्य रूप जैसे यूएवी या उपग्रह बेहद कठिन स्थलाकृति के कारण ठीक से संचालित नहीं हो पाते हैं.

सूत्र ने बताया कि इन क्षेत्रों में ऐसी जगहों पर कैमरे लगाने से उनकी ताकत और बढ़ जाती है और दुश्मन पर नजर रखने में सहुलियत होती है.

स्रोत के अनुसार, पीएलए को अच्छा वॉकर के रूप में नहीं जाना जाता है. वह कम दूरी के लिए भी वाहनों का उपयोग करते हैं. कई बार पीएलए भारतीय सेना के गश्ती दल को उनके ग्राउंड कैमरों पर देख कर फौरन अपने वाहनों में सवार गश्त दल को भेज देता है.

इसके बाद उनके सैनिक हमारे सैनिकों की गश्त को अवरुद्ध करने की कोशिश करते हैं. वहीं भारतीय सेना ने भी अब अपनी पूरी क्षमता से कैमरों का उपयोग प्रभावी ढंग से शुरू कर दिया है.

गौरतलब है, सेना ने सोमवार को सैनिकों को ले जाने वाले चार-पांच पीएलए वाहनों को कैमरे पर देखा था, जो चुमार में भारत की ओर बढ रहे थे. शुरू में ही दुश्मन की चाल का पता लग जाने और उस पर कार्रवाई करने से उनकी योजना को विफल किया जा सकता है.

Last Updated : Sep 2, 2020, 4:42 PM IST

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