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कोविड-19 : सात वर्ष पहले कैग ने उठाए थे भारत की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर सवाल

कोरोना वायरस ने चीन में नवंबर के महीने में दस्तक दे दी थी. लेकिन भारत में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशों से आने वाले सभी यात्रियों की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग 21 जनवरी के बाद शुरू की गई. पढ़ें पूरी खबर...

cag report on screening against pandemics at indian border
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Published : Apr 10, 2020, 12:06 AM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस ने चीन में नवंबर के महीने में दस्तक दे दी थी. लेकिन भारत में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशों से आने वाले सभी यात्रियों की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग 21 जनवरी के बाद शुरू की गई.

17 जनवरी से मुंबई, दिल्ली और कोलकाता हवाई अड्डों पर आने वाले यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग शुरू हुई. वहीं 21 जनवरी से चेन्नई, कोचीन, बेंगलुरु और हैदराबाद में स्क्रीनिंग शुरू की गई.

सरकार ने की देरी
इसकी संभावना सबसे अधिक है कि भारत में कोरोना विदेश से आए लोगों के कारण फैला. इसमें ज्यादातर हवाई यात्री शामिल रहें. यह जानते हुए सरकार को पहले से ही हवाई अड्डों पर प्रभावी निगरानी करनी चाहिए थी, जिसमें सरकार ने काफी देरी कर दी.

कैग ने किया था सचेत

बता दें कि सात साल पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भारत की आपदा तैयारियों पर अपनी प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट में देश के 25 हवाई अड्डों, 12 बंदरगाहों और सात अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं पर 'वैश्विक रोगजनकों' के खिलाफ अधिक से अधिक निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया था.

कैग ने साल 2013 की अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारी सीमाओं पर जो निगरानी होती है, वह किसी भी वायरस को हमारे देश में प्रवेश से रोकने में सक्षम नहीं है.

राष्ट्रीय लेखा परीक्षक का कहना है कि यातायात की मात्रा में हुई वृद्धि की वजह से सार्स, स्वाइन फ्लू, एवियन इन्फ्लूएंजा और इबोला जैसे वायरस को उभरने में मदद मिली.

पीएसी ने भी पेश की थी रिपोर्ट

कैग की रिपोर्ट के बाद सार्वजनिक लेखा समिति (पीएसी), एक प्रमुख संसदीय स्थाई समिति ने साल 2016 में भारत में आपदा तैयारियों पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय प्रवेश स्तर बिंदु पर निगरानी और देश में प्रयोगशाला अवसंरचना को मजबूत किया जाना चाहिए. इन बिंदुओं के माध्यम से देश में बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी.

इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने सहमति व्यक्त करते हुए माना कि देश के 23 प्रवेश बिंदुओं पर स्वास्थ्य इकाइयां स्थापित करने की आवश्यकता है. इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जाना था, लेकिन अब तक यह तैयार नहीं हो पाया है.

नहीं लिया गया निर्णय

दिलचस्प बात यह है कि पैक को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा 'पब्लिक हेल्थ (प्रिवेंशन, कंट्रोल एंड मैनेजमेंट ऑफ एपिडेमिक्स, बायोटेररिज्म एंड डिजास्टर्स) बिल' के एक मसौदे के बारे में भी बताया गया था, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा था.

साल 1897 के पुरातन महामारी रोग अधिनियम को बदलने के लिए एक कानून प्रस्तावित किया गया था. इसमें महामारी की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन शामिल था, लेकिन दुर्भाग्य से यह बिल में आगे नहीं बढ़ पाया.

साल 2008 में गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित राष्ट्रीय रोग प्रबंधन एजेंसी (एनडीएमए) ने समकालीन वास्तविकताओं के अधिक समकालीन कानून के साथ महामारी रोग अधिनियम 1897 को बदलने के लिए तीन साल की समय सीमा का सुझाव दिया था.

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