नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रक्षा ऑफसेट पर हाल ही में सामने आई रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हो सकता है कि बोइंग ने अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को भारत सरकार से छिपाया हो.
बोइंग के नॉन डिस्कलोजर के कारण डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के साथ 2,322 करोड़ रुपये के मूल्य का एक हाई एल्टीट्यूड इंजन टेस्ट फैसिलिटी (HAETF) स्थापित करने के लिए एक ऑफसेट अनुबंध शुरू किया गया है, जिसे अमेरिकी सरकार ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है. इसके के निर्यात के लिए अभी लाइसेंस देना बाकी है.
कैग रिपोर्ट के मुताबिक 'तथ्य यह है कि इन तकनीकों को अमेरिकी सरकार से निर्यात लाइसेंस हासिल करने की आवश्यकता थी और अमेरिका को ऑफसेट प्रस्ताव प्रस्तुत करने के समय सीमा की भी जानकारी थी. हालांकि न तो फर्म ने इन लाइसेंसों को प्राप्त करने के लिए समय-सीमा का खुलासा किया है और न ही भारतीय रक्षा मंत्रालय ने समयबद्धता के लिए जोर दिया.
इस मामले में कैग का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि रक्षा मंत्रालय किस तरह विक्रेता द्वारा दिए गए ऑफसेट की प्रतिबद्धताओं को पूरा करवाएगा.
बता दें कि ऑफसेट एक ऐसा अनुबंध है, जो इंडियन ऑफसेट पार्टनर को विदेशी साजो-सामानों की बड़ी खरीद या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में खरीदार देश के संसाधनों के एक महत्वपूर्ण बहिर्वाह के लिए घरेलू उद्योग की क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद करता है.