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Published : Sep 25, 2020, 10:46 PM IST

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क्या बोइंग ने अमेरिकी प्रतिबंधों को भारत सरकार से छिपाया : कैग

CAG की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की आशंका है कि बोइंग ने अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को भारत सरकार से छिपाया हो. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

कैग
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नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रक्षा ऑफसेट पर हाल ही में सामने आई रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हो सकता है कि बोइंग ने अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को भारत सरकार से छिपाया हो.

बोइंग के नॉन डिस्कलोजर के कारण डिफेंस रिसर्च‌ एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के साथ 2,322 करोड़ रुपये के मूल्य का एक हाई एल्टीट्यूड इंजन टेस्ट फैसिलिटी (HAETF) स्थापित करने के लिए एक ऑफसेट अनुबंध शुरू किया गया है, जिसे अमेरिकी सरकार ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है. इसके के निर्यात के लिए अभी लाइसेंस देना बाकी है.

कैग रिपोर्ट के मुताबिक 'तथ्य यह है कि इन तकनीकों को अमेरिकी सरकार से निर्यात लाइसेंस हासिल करने की आवश्यकता थी और अमेरिका को ऑफसेट प्रस्ताव प्रस्तुत करने के समय सीमा की भी जानकारी थी. हालांकि न तो फर्म ने इन लाइसेंसों को प्राप्त करने के लिए समय-सीमा का खुलासा किया है और न ही भारतीय रक्षा मंत्रालय ने समयबद्धता के लिए जोर दिया.

इस मामले में कैग का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि रक्षा मंत्रालय किस तरह विक्रेता द्वारा दिए गए ऑफसेट की प्रतिबद्धताओं को पूरा करवाएगा.

बता दें कि ऑफसेट एक ऐसा अनुबंध है, जो इंडियन ऑफसेट पार्टनर को विदेशी साजो-सामानों की बड़ी खरीद या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में खरीदार देश के संसाधनों के एक महत्वपूर्ण बहिर्वाह के लिए घरेलू उद्योग की क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद करता है.

उल्लेखनीय है कि 14 जून 2011 को बोइंग के साथ हुई सैन्य ऑफसेट डील हुई थी, जिसके तहत DRDO सहित 14 भारतीय ऑफसेट पार्टनर्स (IOP) के साथ सात परियोजनाओं के माध्यम से 13 जून 2018 तक 8,223 करोड़ रुपये के ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन किया जाना था.

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DRDO के साथ बोइंग के ऑफसेट अनुबंध में दो प्रमुख परियोजनाएं हाई एल्टीट्यूड इंजन टेस्ट फैसिलिटी (HAETF) जिसकी कीमत 2,322 करोड़ रुपये और ट्रांसोनिक विंड टनल (TWT) टेस्ट फैसिलिटी थी, जिसकी कीमत 1,437 करोड़ रुपये शामिल थीं.

हालांकि अमेरिकी सरकार द्वारा निर्यात प्रतिबंध के कारण इनमें देरी हुई और दोनों परियोजनाओं को जून 2023 में पांच साल का विस्तार दिया गया, जिसे 2018 में भारत के रक्षा मंत्री द्वारा अनुमोदित कर दिया गया, जबकि भारत ने ( वाइंड टनल टेक्नोलॉजी (TWT) परियोजना को चुना, क्योंकि भारतीय उद्योगों की क्षमता TWT में काफी बढ़ गई थी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेशी TWT को ध्यान में रखते हुए, DRDO ने TWT ऑफसेट परियोजना के साथ आगे नहीं बढ़ने का निर्णय लिया, जबकि अन्य परियोजना HAETF अभी भी चर्चा में है.

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