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CAA का भारत-बांग्लादेश संबंधों पर नहीं होगा कोई असर : विशेषज्ञ

CAA को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच यह प्रश्न भी खड़ा हो रहा है कि क्या इसका असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पड़ेगा? इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जानें उन्होंने क्या कुछ कहा...

India-Bangladesh relation
राजनीतिक विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य

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Published : Dec 21, 2019, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : रणनीतिक और राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने का भारत का फैसला बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को बाधित करने वाला नहीं है.

ईटीवी भारत से बातचीत में भट्टाचार्य ने कहा कि सीएए क्यों बांग्लादेश के साथ संबंध में बाधा डालेगा. भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध अच्छे रहे हैं क्योंकि अब इसे नरेंद्र मोदी और शेख हसीना के नेतृत्व का सबसे सुनहरा दौर कहा जाता है.

सीएए को लेकर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर राजनीतिक विश्लेषक सुबिमल का बयान.

सुबिमल ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम दोनों देशों के बीच संबंधों में बाधक नहीं बनेगा.

भट्टाचार्य ने कहा कि जो लोग बांग्लादेश से आए हैं, वे पहले से ही लंबे समय से भारत में रह रहे हैं.

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि बांग्लादेश ने पहले कहा था कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) दोनों ही भारत के आंतरिक मामले हैं.

हाल ही में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने कहा है कि बांग्लादेश-भारत संबंध सामान्य हैं और वे प्रभावित नहीं होंगे.

मोमन ने कहा है कि भारत से अनुरोध किया गया है कि वह देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की सूची उपलब्ध कराए, जिससे उन्हें स्वदेश लौटने की अनुमति दी जाएगी.

भट्टाचार्य ने कहा, दोनों देशों के नेतृत्व के बीच उक्त मुद्दे पर पहले ही चर्चा हो चुकी है.

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भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सीएए पर संयुक्त राष्ट्र के जनमत संग्रह के आह्वान पर भी प्रतिक्रिया दी.

भट्टाचार्य ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित मुख्यमंत्री मजबूत लोकतांत्रिक संस्थानों पर विश्वास नहीं कर रहे हैं ... क्या उन्हें बस गुम होने का अहसास हो सकता है.'

गौरतलब है कि गुरुवार को कोलकाता में ममता बनर्जी ने सीएए पर संयुक्त राष्ट्र के जनमत संग्रह की निगरानी के लिए कहा था.

हालांकि, भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी के ही कारण दोनों देश तीस्ता जल समझौते पर अब तक हस्ताक्षर नहीं कर पाए हैं.

तीस्ता जल बंटवारे का मुद्दा दोनों देशों के एजेंडे में हमेशा उच्च रहा है, लेकिन ममता बनर्जी के विरोध ने इस मुद्दे पर ठोकर का काम किया है.

यदि दोनों देश समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं, तो यह बांग्लादेश को तीस्ता जल प्राप्त करने में मदद करेगा.

हालांकि, ममता बनर्जी का दावा है कि बांग्लादेश के साथ पानी का बंटवारा उनके राज्य को सूखा बना सकता है.

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