नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आने वाली असम और त्रिपुरा की याचिकाओं पर अलग से सुनवाई करने का फैसला किया हैै. इस पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता उपमन्यु हजारिका ने ईटीवी भारत से बात की. उनका कहना है कि असम और त्रिपुरा के सीएए के मामले को भारत के बाकी हिस्सों से अलग करना बहुत अधिक महत्व रखता है.
हजारिका ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का पूर्वोत्तर में अधिकतम प्रभाव है. क्योंकि इस क्षेत्र में बांग्लादेश से सबसे ज्यादा घुसपैठ हुई है.
1971 के लिबरेशन युद्ध से पहले और बाद में, बांग्लादेश से पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर लोग आए थे. इस तरह की आमद को गैरकानूनी करार देते हुए, विभिन्न संगठनों विशेषकर क्षेत्र के छात्र निकायों ने इस अवैध आमद के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया.
हजारिका ने कहा भारत में कुल 525 जातीय समुदायों में से 247 पूर्वोत्तर में हैं और उनमें भी 115 असम में हैं. ऐसे समुदायों की आबादी 3.5 से 4 करोड़ के आस पास होगी, जो भारत की कुल जनसंख्या का 3 प्रतिशत है.
हजारिका ने कहा कि इन 3 प्रतिशत भारतीय आबादी और 50 प्रतिशत जातीय समुदाय की अपनी अलग संस्कृति और परंपरा है. उन्हें सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें विलुप्त होने से बचाना बहुत महत्वपूर्ण है.