नई दिल्ली : तीन वर्ष पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर शपथ लेने के बाद फरवरी 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने की उम्मीद है. सूत्रों से पता चला है कि अमेरिका में महाभियोग का सामना कर रहे ट्रंप फरवरी 24 को भारत पहुंच सकते हैं.
इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने वॉशिंगटन डीसी स्थित ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो तन्वी मदान और प्रमुख रणनीतिक विचारक डॉ. सी. राजमोहन से ट्रम्प के भारत दौरे, भारत-अमेरिका व्यापार मतभेदों और ईरानी संकट और भारत पर इसके क्षेत्रीय प्रभाव के बारे में बात की.
देखें तन्वी मदान और डॉ. सी. राजमोहन से हुई बातचीत पढ़ें ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो तन्वी मदान और प्रमुख रणनीतिक विचारक डॉ. सी. राजमोहन से हुए सवालों और जवाबों का सिलसिला...
फरवरी में ट्रंप का भारत दौरा
खबरों की मानें तो ट्रंप फरवरी में भारत आने वाले हैं. यह कितना महत्वपूर्ण हो जाता है, जबकि इसके पहले अमेरिका द्वारा भारत के गणतंत्र दिवस के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया था? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रमुखों और सरकारी प्रमुखों के साथ अक्सर ऐसी समस्याएं रहती हैं. खास तौर पर यहां के राष्ट्रपति अधिक यात्रा नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा एक अच्छा संकेत और महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि इस दौरान व्यापार, सुरक्षा सहयोग पर भारत और अमेरिका के बीच लंबित कई मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है.
ट्रंप के लिए भारत दौरा कितनी अहमियत रखता है
इस सवाल पर कि यह कितना महत्वपूर्ण है कि दो शीर्ष नेता नियमित रूप से कुछ बहुपक्षीय आयोजनों पर मिलते रहे हैं? जैसे, नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के वक्त या फिर पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के वक्त. इन सबको देखते हुए डोनाल्ड ट्रंप का भारत आना कितना महत्वपूर्ण है?
उन्होंने कहा कि यह हमेशा महत्वपूर्ण होता है. यह एक राजनैतिक संकेत देता है, साथ ही यह दूसरे देशों को भी संकेत देता है. उन्होंने इसके एक एक्शन-फोर्सिंग इवेंट बताया है.
भारत-अमेरिका के बीच लघु-व्यापार सौदा?
उन्होंने कहा कि यह एक लघु-व्यापार सौदा भी हो सकता है. हालांकि, मोदी सरकार द्वारा अमेरिका के साथ कुछ खास बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं लेकिन रूस के साथ हस्ताक्षरित किया गया है.
यूएस-भारत के बीच 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार
व्यापार सौदों के बीच कई बाधाएं भी हैं इस पर उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि आज यूएस और भारत के बीच 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार है. आज भारत के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि ये लगातार बढ़ रहा है.
इस पर आगे कहते हुए ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो तन्वी मदान और प्रमुख रणनीतिक विचारक डॉ. सी. राजमोहन ने कहा कि भारत को अमेरिका और यूरोप के साथ व्यापार करते हुए आगे बढ़ते देखना काफी महत्वपूर्ण है.
भारत-अमेरिका के बीच अहम समझौते हो सकते हैं
वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा के इस सवाल पर कि क्या डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा को कुछ अलग और अहम नजरिये से देखा जा सकता है? उन्होंने कहा कि ऐसा लग तो रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ छोटे व्यापार सौदे हो सकते हैं. या फिर वह इस बात की भी घोषणा कर सकते हैं कि भारत और अमेरिका द्विपक्षीय निवेश संधि में वार्ता को फिर से शुरू करना चाहते हैं.
ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ का भारत दौरा
कुछ वक्त पहले ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ यहां थे, क्या भारत अमेरिका के बीच अब तक कुछ उलझा हुआ है. क्योंकि भारत के खाड़ी, मध्य पूर्व और विशेष रूप से ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से बहुत सावधान रहा है. और मुझे लगता है कि तब विदेश मंत्री जरीफ को कुछ बातें कहने की जरूरत थी, जिन्हें उन्होंने उन्हें काफी मजबूती से पेश किया.
ईरानी संकट और यूक्रेन विमान हादसा
ईरानी संकट को कैसे देखते हैं, खास तौर पर यूक्रेन विमान घटना के बाद, जब ईरान की सड़कों पर लोग विरोध में उतर आए हैं? उन्होंने कहा कि ईरान फिलहाल मुश्किल वक्त से गुजर रहा है, और इसका अंतर्राष्ट्रीय अलगाव बढ़ रहा है. साथ ही प्रतिबंधों पर अमेरिका का दबाव भी बढ़ गया है. इसलिए, हमें लगता है कि उन पर इससे भी कठिन वक्त आने वाला है. लेकिन हमें नहीं लगता कि अमेरिका और ईरान के बीच भारत संबंधों को बेहतर बना सकता है.
अरब पर निर्भर है पाकिस्तान
क्या अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहे संकट का असर पाकिस्तान पर भी हो रहा है. इस पर तन्वी मदान और डॉ. सी. राजमोहन ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है. पूरा मामला ईरान और अरब के बीच है. पाकिस्तान खाड़ी अरबों पर निर्भर है लेकिन ईरान उनका पड़ोसी है. इसलिए वह विरोधाभास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तान एक निर्णायक शक्ति होने के लिए कहीं नहीं हैं.
आपको बता दें, ट्रंप के पूर्ववर्ती बराक ओबामा ने अपने आठ वर्ष के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान 2010 और 2015 में भारत का दौरा किया था. भारत ने 2019 में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प को आमंत्रित किया था, लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण वह नहीं आ सके थे.
ट्रंप और मोदी पिछले तीन वर्षों में बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के इतर कई बार मिल चुके हैं, जिसमें उनकी आखरी बैठक सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान हुई थी.
ट्रंप और मोदी पिछले तीन वर्षों में बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के इतर कई बार मिल चुके हैं, जिसमें उनकी आखरी बैठक सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान हुई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा से दो दिन पहले ट्रंप ने वो किया जो किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं किया था, वह टेक्सास में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में पहुंचे.
पिछले कुछ माह में भारत द्वारा कश्मीर में लंबे समय तक लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका के विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने भारत की कार्रवाई पर सवाल उठाए और आलोचना की. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह यात्रा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका के संबंध विदेशी और रक्षा मंत्रियों के स्तर पर 2 + 2 संवाद जैसे संस्थागत तंत्र के माध्यमों से विकसित हुए हैं.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों के मुताबिक, अगर ट्रंप की भारत यात्रा होती है, तो दोनों पक्ष कम से कम कुछ आंशिक व्यापार समझौतों पर जोर दे रहे हैं. इसका मकसद है कि समझौते को एक बड़ी घोषणा के रूप में पेश किया जा सके.