वाराणसी : कहा जाता है कि जिंदगी में कुछ ऐसी जंग होती हैं, जो हथियारों से नहीं बल्कि प्यार से जीती जाती हैं. इस कथन को वाराणसी की रहने वाले डॉ शबनम ने एक कैंसर पीड़िता डॉ स्मिता भटनागर की सेवा कर के सच कर दिखाया है. डॉ शबनम न केवल कैंसर डॉ अस्मिता को बचाया बल्कि अब वो उनकी मुंह बोली बेटी बन गई हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ स्मिता भटनागर ने कहा कि उन्होंने और उनकी बहन को कुछ साल पहले स्तन कैंसर हुआ था, जिसमें उनकी बहन की मृत्यु हो गई थी जबकि वे बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीत चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि इस बीमारी से लड़ना आसान नहीं था, जिसमें मेरी बहन की मृत्यु हो गई थी.मैंने अपनी बहन का अंतिम संस्कार किया. उस समय डॉ शबनम ने धार्मिक बंदिशों को तोड़कर मेरी बहन की अंतिम संस्कार करवाया. वह बीमारी के दौरान हर समय हमारे साथ रहतीं.
अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं में स्तन कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है और उन्हें बचाया जा सकता है.
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश कैंसर रोगी मानसिक तनाव से पीड़ित हैं, जो उनकी बीमारी को और खतरनाक बना देता है, हम भाग्यशाली हैं कि हमें डॉ शबनम ने मेरी देखभाल की और किसी भी तरह के मानसिक तनाव में नहीं आने दिया.