नई दिल्ली : भारत सरकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रही है. यह फोर-लेन सुरंग 2028 तक शंघाई सहित लगभग पूरे चीन को भारत की रणनीतिक मिसाइलों की रेंज में प्रभावी ढंग से लाने में गेम-चेंजर साबित होगी. शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र है.
हालांकि, भारत ने चीन की चुनौती से निबटने के लिए उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर शक्तिशाली पारंपरिक और परमाणु-सक्षम मिसाइल सिस्टम्स तैनात किए हैं. इन्हें अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित करने से भारत लगभग पूरे चीन को अपनी मिसाइलों की रेंज में लाने में सक्षम हो जाएगा.
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में ऐसी मिसाइल प्रणालियों की तैनाती बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी. इससे मिसाइलों को दुष्मनों की नजर से छिपाया भी जा सकेगा.
लेकिन इसके लिए, मिसाइल प्रणालियों के संचालन में आसान गतिशीलता और आवरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. इस स्थिति में ब्रह्मपुत्र नदी सुरंग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है.
नियोजित सुरंग नदी के दक्षिणी तट में नुमालीगढ़ को उत्तर में गोहपुर से जोड़ेगी, जहां से अरुणाचल करीब है.
मिसाइल प्रणाली के संचालन के साथ, यह सुरंग प्रतिकूल परिस्थितियों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) या चीन से लगती सीमा पर भारी तोपखाने सहित पुरुषों और युद्ध उपकरणों के परिवहन में कारगर साबित होगी.
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के पास असम में सैन्य अड्डे हैं, जहां पर परमाणु-सक्षम अग्नि 2, अग्नि 3 और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियों को स्थापित किया गया है.
मध्यम मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2, 35,00 किमी तक की रेंच में आने वाले लक्ष्य को टारगेट कर सकती है, जबकि अग्नि 3, 5,000 किमी तक लक्ष्य को भेद सकती है.