न्यूयॉर्क : एक नवीनतम अध्ययन में दावा किया गया है कि पूर्व के अनुमान के मुकाबले ब्रह्मपुत्र नदी में विनाशकारी बाढ़ कहीं जल्दी-जल्दी आएगी और यह स्थिति तब होगी, जब इस आकलन में मानवीय गतिविधियों से जलवायु पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल नहीं किए गए हैं. अध्ययन में इस दावे का आधार गत 700 साल में नदी के बहाव का विश्लेषण है.
जर्नल 'नेचर कम्युनिकेशन' में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक तिब्बत, पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में अगल-अलग नाम से बहने वाली नदी में दीर्घकालिक न्यूनतम बहाव पूर्व के अनुमान से कहीं अधिक है.
अमेरिका स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों सहित अनुसंधान दल में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि पहले अनुमान लगाया गया था कि नदी के न्यूनतम बहाव में प्राकृतिक अंतर मुख्य: जल स्तर पर आधारित है, जिसकी गणना वर्ष 1950 से की जा रही है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि मौजूदा अध्ययन तीन स्तरीय आंकड़ों पर आधारित है. इसके मुताबिक पूर्व का अनुमान नए अनुमान से 40 प्रतिशत कम है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कार्यरत और शोध पत्र के प्रमुख लेखक मुकुंद पी. राव ने कहा, 'चाहे आप जलवायु मॉडल पर विचार करें या प्राकृतिक परिवर्तनशीलता पर, संदेश एक ही है. हमें मौजूदा अनुमानों के विपरीत कहीं जल्दी-जल्दी बाढ़ आने की विभिषिका के लिए तैयार रहना होगा.'
शोधकर्ताओं ने रेखांकित किया कि नदी से लगे इलाकों में करोड़ों लोग निवास करते हैं और नियमित रूप से जुलाई से सितंबर के बीच मॉनसून के मौसम में बाढ़ का सामना करते हैं.