मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण की वैधता बरकरार रखी है. जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. पीठ ने इसकी सीमा 12 फीसदी कर दी है. पहले यह सीमा 16 फीसदी थी. सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी.
मराठा आरक्षण को लेकर पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कहा है कि हम बहुत खुश है कि मराठा आरक्षण का मुद्दे का समाधान निकला. उन्होेने आगे कहा कि कांग्रेस ने मराठा मुद्दे उठाया था लेकिन कानूनी अड़चनों का कारण हाईकोर्ट से पास नहीं हो पाया था.
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि धनगर और मुस्लिम समुदायों को दो अन्य आरक्षण, जो वर्तमान सरकार द्वारा लंबे समय तक लटकाए हुए हैं. अगर इन्हें भी हल कर लिया जाए, तो राज्य में सामंजस्य होगा.
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री और शिवसेना के नेता अरविंद सावंत ने कहा कि शिवसेना शुरू से ही मराठा आरक्षण को लेकर समर्थन करती रही है मराठा आरक्षण के लिए काफी लंबे समय से प्रयास कर रहे थे. जिस तरह से उन्होंने इसके लिए आंदोलन किया है और लगातार संघर्ष किया है. अब कोर्ट ने उनके हक में फैसला देकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. इसका महाराष्ट्र की सरकार और खासतौर पर शिवसेना पूरी तरह से स्वागत करती है
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को समाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए अलग से श्रेणी बनानी चाहिए.