मुंबई :बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि इस साल मार्च में दिल्ली में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों को 'बलि का बकरा' बनाया गया और उनपर आरोप लगाया गया कि देश में कोविड-19 को फैलाने के लिए वे जिम्मेदार थे.
न्यायमूर्ति टीवी नलावडे और न्यायमूर्ति एमजी सेवलिकर की खंडपीठ ने 29 विदेशियों के खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज करते हुए 21 अगस्त को यह टिप्पणी की.
पीठ ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र पुलिस ने मामले में उचित ढंग से काम किया है, जबकि राज्य सरकार ने 'राजनीतिक बाध्यता' के तहत काम किया है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में पर्यटन वीजा शर्तों का कथित तौर पर उल्लंघन करने के सिलसिले में 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं, महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.
पीठ ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि निजामुद्दीन मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ बड़ा दुष्प्रचार किया गया था.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'महामारी या आपदा आने पर राजनीतिक सरकार बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करती है और हालात बताते हैं कि संभावना है कि इन विदेशी नागरिकों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया था.
अदालत ने कहा कि तबलीगी जमात के खिलाफ दुष्प्रचार अवांछित था. तबलीगी जमात 50 साल से गतिविधि चला रही है.