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भारतीय मजदूर संघ ने की राष्ट्रीय प्रवासी मजदूर नीति बनाने की मांग - भारतीय मजदूर संघ

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इकाई भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के सामने मांग रखी है कि प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी मजदूर नीति बनाए और तत्काल प्रभाव से प्रवासी मजदूरों की गणना के लिए नेशनल रजिस्टर फॉर माईग्रैंट वर्कर्स की शुरुआत करे. पढ़ें पूरी खबर...

BMS meeting with Labour Minister
भारतीय मजदूर संघ

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Published : May 6, 2020, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इकाई भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के सामने मांग रखी है कि प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी मजदूर नीति बनाए और तत्काल प्रभाव से प्रवासी मजदूरों की गणना के लिए नेशनल रजिस्टर फॉर माईग्रैंट वर्कर्स की शुरुआत करे.

कोरोना संकट के कारण घोषित हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देशभर से प्रवासी मजदूरों के पलायन और फिर उसके बाद की परिस्थितियों की तस्वीरें लगातार सामने आती रही हैं.

आज भी लाखों की संख्या में मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं. रोजगार छिनने के साथ-साथ उनके सामने आज सबसे बड़ी समस्या आजीविका की है लेकिन महामारी के फैलते प्रभाव और लॉकडाउन की स्थिती में यह लाखों मजदूर सबसे पहले अपने घर पहुंचना चाहते हैं.

आज देश में लॉकडाउन के समय में कोरोना वायरस के बाद सबसे बड़ा मुद्दा इन मजदूरों का बना हुआ है, जिस पर अब राजनीति भी शुरु हो चुकी है. आरएसएस की मजदूर इकाई भारतीय मजदूर संघ ने आज केंद्रीय श्रम मंत्री से बैठक के बाद एक व्यक्तव्य जारी करते हुए सरकार के सामने रखी गई मांगों की जानकारी दी है.

मजदूर संघ का कहना है कि महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थिती में आज ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने परिवार के पास अपने गृह राज्य वापस जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में मजदूरों की भारी कमी हो सकती है. ऐसे में इन मजदूरों को ऐसी सुविधायें मिलनी चाहिए जिससे ये वापस आना चाहें.

मजदूर संघ ने मांग रखी है कि सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त टिकट, इलेक्ट्रॉनिक पास और नकद राशी की अतिरिक्त मदद दी जानी चाहिए. इसके साथ ही मजदूर कैम्पों में बेहतर सुविधाएं देने की जरूरत पर भी जोर देते हुए संघ ने कहा है कि उद्योग जगत को फिर से सुचारु रूप से शुरु करने के लिये मजदूरों में विश्वास पैदा करने की जरूरत है.

भारतीय मजदूर संघ ने श्रम मंत्री और ट्रेड यूनियन्स की बैठक में इस तरह से कुल 19 मुद्दे और उन पर अपनी मांगें और विचार सरकार और उद्योग जगत के साथ साझा किए हैं. इनमें से कुछ अन्य महत्वपूर्ण मांगें हैं समय से भुगतान, लॉकडाउन की स्थित में मजदूरों के लिये यातायात की सुविधा और सामजिक सुरक्षा इत्यादी.

● भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि सरकार को मजदूरों के भुगतान को समय से सुनिश्चित करने के लिये इस पर निगरानी रखनी चाहिए और हर महीने के 7 तारीख को मजदूरों को उनका पैसा मिलना चाहिए.

● लॉकडाउन की स्थिती में ग्रीन और ऑरेंज जोन में अब लगभग सभी औद्योगिक इकाइयों को शुरु करने की अनुमती दे दी गई है लेकिन यातायात को अभी नहीं खोला गया है. ऐसी परिस्थिती में मजदूरों के लिये विशेष यातायात की सुविधा शुरु करनी चाहिए.

● भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ते को फ्रीज किए जाने और 14 राज्य सरकारों द्वारा कर्मियों के वेतन में कटौती का भी विरोध किया है. मजदूर संघ ने श्रम मंत्रालय से मांग की है कि कम वेतन वाले सभी कर्मियों को महंगाई भत्ता मिलना चाहिए और साथ ही केंद्रीय मंत्रालय से मांग की है कि वो राज्यों को वेतन कटौती करने से रोके.

● मजदूर संघ का कहना है कि अगर प्रवासी मजदूर समय पर नहीं लौटे तो औद्योगिक इकाईयां ऑटोमेशन की तरफ रुख करेंगे और ऐसी परिस्थिति में और ज्यादा बेरोजगारी पैदा होगी इसलिए सरकार को ऑटोमेशन और रोबोटिक से संबंधित दिशा निर्देश भी जारी करने चाहिए.

● मजदूर संघ ने 3 राज्यों द्वारा सामान्य काम करने के अवधी को बढ़ाए जाने का भी विरोध किया है. संघ ने कहा है कि यह मजदूर कानून के खिलाफ है और इसे राज्यों को तुरंत वापस लेना चाहिए.

मजदूर संघ ने सरकार को लेबर लॉ में किसी भी तरह का बदलाव जो मजदूरों के हित में नहीं हो उसे करने से बचने की सलाह दी है और कहा है कि किसी भी तरह के बदलाव से पहले संबंधित संगठनों और इकाइयों से इसकी चर्चा होनी चाहिए.

इसके साथ ही लॉकडाउन के बाद मजदूरों के सामने बड़े संकट पर मजदूर संघ ने सरकार के सामने मांग रखी है किन के पुनर्वास के लिए सरकार को बड़ी योजना के साथ काम करना चाहिए.

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के साथ आज हुई बैठक में भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष सजी नारायण और महासचिव विरजेश उपाध्याय मौजूद थे, जिन्होंने संघ की तरफ से अपना पक्ष रखा.

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