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कोरोना संकट में तेजी से की जा रही दवाओं की कालाबाजारी

दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है. इस महामारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर और वैज्ञानिक शोध करने में लगे हुए हैं. हालांकि इस वायरस से लड़ने में कुछ दवाएं थोड़ा सा काम कर रही हैं, तो वहीं तेजी से उनकी कालाबजारी भी की जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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Published : Jul 17, 2020, 11:00 PM IST

हैदराबाद : यह बहुत ही दयनीय रहा होगा, जब गिद्धों ने भयंकर युद्ध में मानव मांस के लिए अपने बदसूरत पंखों को फड़फड़ाया होगा. वर्तमान में पूरी मानव जाति कोरोना से युद्ध लड़ रही है. इस दौरान उच्च लाभ के लिए मानव गिद्धों द्वारा दी जा रही पीड़ा वास्तव में घृणित है. भारत में कोरोना प्रभावितों की संख्या 10 लाख से अधिक हो गई है. हालांकि एक वैक्सीन खोजने का प्रयास जारी है, जो इस महामारी से लड़ने हाथियार साबित होगी. हालांकि हमें यह नहीं पता है कि वैक्सीन कब उपलब्ध हो पाएगी.

इस बीच रेमेडिसविर, लोपिनवीर और रटनविर, तोसलिजुमब (Tosilijumab) इंजेक्शन, जो गंभीर रूप से बीमार रोगियों को कुछ राहत दे रही हैं. वह उनकी वास्तविक कीमत के पांच से दस गुना दामों पर उपलब्ध हैं. कॉर्पोरेट अस्पतालों के मेडिकल स्टोर में भी यही बात लागू होती है.

देश भर में विक्रेताओं के नियम बदल गए हैं. वह बढ़े हुए दामों के संग्रह का सहारा ले सकते हैं! अस्पतालों में प्रायोगिक उपयोग के लिए आईसीएमआर द्वारा दी जाने वाली दवाओं को सीधे अस्पतालों में पहुंचाया जाना चाहिए, लेकिन सुझाव है कि असाधारण मामलों में डॉक्टरों के पर्चे पर ऐसी दवाओं को मानवीय आधार पर बेचा जाता है, जिससे दवाओं को दरकिनार करने की गुंजाइश बनी रहे.

अब शिकायतें बड़े पैमाने पर डाली जा रही हैं, इसलिए भारत के महानिदेशक और नियंत्रक महाप्रबंधक कार्रवाई में जुट गए हैं और उन्होंने ऐसी दवाओं के विचलन को काला बाजार में रोकने के आदेश जारी किए हैं. महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए, हमें और अधिक प्रभावी कार्ययोजना की आवश्यकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी पेटेंट की गड़बड़ी के बिना दवा को उपलब्ध कराने का इच्छुक है, जो घातक कोरोना का इलाज करता हो. ट्रंप सरकार ने एक दवा कंपनी 'गिलियड' के साथ एक समझौता किया है कि वह तीन महीने के लिए अपने सभी उत्पादन की आपूर्ति केवल अमेरिका के लिए रेमेसिडोर (Remdesiror) को ही करे. तीन महीने गिलियड, सिप्ला, हेटेरो, माइलोन की मंजूरी के साथ सरकार ने विभिन्न नामों के तहत रेमेडिसविर के निर्माण की अनुमति दी है. लेकिन उनकी कीमतें प्रभावितों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही हैं.

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महाराष्ट्र सरकार ने निर्देश दिया है कि जिन रोगियों को रेमेडिसिविर, तोसलिजुमब की जरूरत है. वह उसके लिए आधार कार्ड, डॉक्टर के पर्चे और कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट का विवरण प्रस्तुत करें. वहीं हरियाणा ने विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है कि दवाओं का स्टॉक समाप्त नहीं होना चाहिए. समाचारों में कहा गया है कि साइबर अपराधी डार्क नेट के माध्यम से प्रमुख दवाओं की बिक्री में बहुत सक्रिय हैं. यहां तक कि जब वायरस संकट शुरू हुआ, तो मास्क और सेनिटाइजर की कालाबाजारी की गई.

ऑक्सीजन जो सांस के रोगियों के लिए आवश्यक है. इस दौरान कुछ लोगों ने ऑक्सीजन सिलेंडर की भी बिक्री में कालाबाजारी की.

कोरोना काल में लोग संघर्ष कर रहे हैं और वह फल, सब्जियों और किराने की वस्तुएं उच्च दर पर प्राप्त हो रही हैं. इस वजह से पौष्टिक भोजन खाना छोड़ देते हैं. केंद्र और राज्य सरकारों को उन कीमतों की जांच करने और जमाखोरों को दंडित करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि संकट की स्थिति से बचा जा सके.

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