नई दिल्ली : भारतीय किसान यूनियन ( भाकियू) ने RCEP के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है. ASEAN देशों समेत अन्य 11 देशों से होने वाले मुक्त व्यापार समझौते का देश के अन्य किसान संगठनों ने पहले ही इसका विरोध किया है और अब देश के सबसे बड़े किसान संगठनों में शुमार भारतीय किसान यूनियन ने भी इसके विरोध में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही है.
ईटीवी भारत ने किसानों से जुड़े मुद्दे पर भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह से बातचीत की, जिसमें सबसे पहले उन्होंने मोदी सरकार द्वारा हाल में घोषित रबी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रतिक्रिया दी.
किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि एक तो यह एमएसपी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक तय नहीं की गयी हैं. उनका फार्मूला C2+50% का था जबकि सरकार ने पुराने फॉर्मूले (A2FL) के मुताबिक MSP तय की है.
उन्होंने कहा कि इस तरह यह कीमत स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश की तुलना में 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक कम है. इसके बावजूद अगर किसानों की फसल को इस तय एमएसपी पर ही खरीद लिया जाता, तब भी इसका उद्देश्य पूरा होगा. लेकिन अभी स्थिति यह है कि सरकार खरीद ही नहीं कर पा रही है.
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युद्धवीर सिंह का कहना है कि वह मंगलवार को ही हरियाणा के कई मंडियों में घूम कर आ रहे हैं, जहां किसान धान बेचने आये हैं, लेकिन खरीद नहीं हो रही. मजबूरन किसान अपनी उपज आढ़तियों को कम कीमत पर बेच कर जाने को मजबूर होंगे.
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भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि महज एमएसपी तय कर अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की बजाय सरकार को किसानों से खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए. इस बात को पक्का करना चाहिए कि सरकार द्वारा तय कीमत से कम में कोई भी किसानों की फसल न खरीदे.
गौरतलब है कि 2019-20 में निर्धारित एमएसपी के मुकाबले 2020-22 के लिए पिछले हफ्ते की कैबिनेट बैठक के बाद घोषित रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में गेहूं और बार्ली पर 85 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों और चना पर 225 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी पर 270 रुपये प्रति क्विंटल और लेंटिल पर 325 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की गई है.
किसान नेता का कहना है कि ये कीमतें भी ज्यादा नहीं हैं, फिर भी अगर तय एमएसपी पर सरकार उनकी उपज समय से खरीद ले तो उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.
RCEP के विरोध में है भारतीय किसान यूनियन, करेंगे देशव्यापी आंदोलन
वहीं RCEP यानी कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के विरोध में भारतीय किसान यूनियन बड़े आंदोलन की तैयारी में है.