हैदराबाद : बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी नई टीम की घोषणा की. नई टीम में पार्टी ने युवा सांसद तेजस्वी सूर्या को युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के तेजस्वी के सामने भाजपा ने अपने तेजस्वी को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. इस बार बिहार के मुख्य विपक्ष यानी राजद ने तेजस्वी यादव काे अपनी पार्टी का प्रमुख चेहरा बनाया है.
स्पष्ट संकेत है कि लालू यादव और राबड़ी देवी को राजद के पोस्टर तक में जगह नहीं मिलेगी. राजद इस बार चुनाव में युवाओं के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने राजद की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरियों पर फैसला लेने का चुनावी वादा किया है. बिहार में युवाओं को एकजुट करने और राजद के तेजस्वी के चुनावी रथ को रोकने के लिए भाजपा ने अब पार्टी के युवा मोर्चा के नव नियुक्त अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या को मैदान में उतारा है. तेजस्वी सूर्या 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव को तीन लाख से अधिक मतों से हराकर सांसद बने हैं.
आरएसएस, नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद हैं सूर्या
28 साल की उम्र में दक्षिण बेंगलुरु की सीट से बीजेपी से लोक सभा पहुंचे तेजस्वी सूर्या को एक बेहतरीन वक्ता माना जाता है. भाजपा के दिग्गज और केंद्रीय मंत्री एचएन अनंत कुमार छह बार दक्षिण बेंगलुरु सीट से सांसद थे. उनकी मृत्यु के बाद तेजस्वी सूर्या के लिए टिकट को अंतिम रूप दिया गया. हालांकि, राज्य इकाई ने इस सीट के लिए अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार का नाम भेजा था. तेजस्वी सूर्या ने 2019 के चुनावों में कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद को तीन लाख से अधिक मतों से हराकर भाजपा आलाकमान के फैसले को सही साबित किया. तेजस्वी अक्सर अपने भाषणों के कारण चर्चा में रहते हैं. साथ ही उन्हें आरएसएस, नरेंद्र मोदी और अमित शाह का पसंदीदा नेता माना जाता है.
युवाओं को जोड़ने का माना जाता है विशेषज्ञ
सूर्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में रहे हैं और भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनने से पहले महासचिव के पद पर रहे. युवाओं में तेजस्वी की लोकप्रियता काफी अधिक है और उन्हें युवाओं को जोड़ने का विशेषज्ञ माना जाता है. बीजेपी को लगता है कि सूर्या बिहार के युवाओं से अपने से जोड़ सकते हैं. खासकर ऐसे समय में, जब विपक्ष का युवा चेहरा बनकर उभरे तेजस्वी यादव बेरोजगारी के मुद्दे पर बिहार के युवाओं को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं. 2018 चुनाव के दौरान कर्नाटक भाजपा के लिए डिजिटल संचार टीम का नेतृत्व कर सूर्या ने राष्ट्रीय पहचान बनाई. तेजस्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के लोक सभा चुनाव प्रचार में भी सक्रिय भूमिका निभाई और देश भर में जनसभाओं को संबोधित किया. उन्होंने 100 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया. कुछ साल पहले तेजस्वी सूर्या को ब्रिटेन के उच्चायोग ने कर्नाटक के अन्य नवोदित राजनेताओं के साथ नेतृत्व पाठ्यक्रम के लिए ब्रिटेन भेजा था. हालांकि, सूर्या का विवादों से भी नाता रहा है. ऐसे कई मौके आए हैं, जब उन्होंने भड़काऊ बयान दिए हैं.
सूर्या का विवादों से भी रहा है नाता
सूर्या ने इस साल अगस्त के महीने में एक विवादित ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि प्रिय हिंदुओं, अपने धर्म को बनाए रखने के लिए सत्ता पर हिंदू का कब्जा जरूरी है. जब हम सत्ता में नहीं थे, हमारे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था. अब हम सत्ता में हैं, तो हम फिर से मंदिर का निर्माण करने जा रहे हैं. 2014 में 282 सीटों और 2019 में 303 सीटों के साथ, मोदी के लिए ऐसा करना संभव था. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के दौरान उन्होंने एक विवादास्पद बयान भी दिया. उन्होंने कहा था कि जो लोग बेंगलुरु के आईटी सेक्टर में काम करते हैं, वकील, इंजीनियर बन विकास में योगदान कर रहे हैं, वे सीएए का विरोध नहीं कर रहे. सीएए के विरोध में रिक्शा चालक, पंचर लगाने वाले हैं.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और स्कूल शिक्षक के बेटे
16 नवंबर 1990 को बेंगलुरु में जन्मे सूर्या एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और स्कूल शिक्षक के बेटे हैं. वह एक प्रशिक्षित संगीतज्ञ होने के साथ ही खुद को उत्साही पाठक, इतिहास उत्साही और हिंदुत्व का एक प्रमुख आस्तिक बताते हैं. उनके माता-पिता की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि तेजस्वी अपने चाचा बसवंगुड़ी से भाजपा विधायक रवि सुब्रमण्या से काफी प्रभावित थे. बचपन से वह आरएसएस से जुड़े हुए हैं. कर्नाटक उच्च न्यायालय के वकील सूर्या राष्ट्रीय छलांग लगाने से पहले युवा मोर्चा के राज्य सचिव और प्रवक्ता सहित कई क्षमताओं में कर्नाटक भाजपा की सेवा कर चुके हैं.