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CAB को लेकर राम माधव और ममता बनर्जी आमने-सामने

भाजपा नेता राम माधव ने कहा है कि अगर नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो यह संविधान का एक अधिनियम बन जाएगा. एक राज्य के सीएम के रूप में, ममता बनर्जी संविधान के प्रत्येक अधिनियम को लागू करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं.

राम माधव
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Published : Dec 9, 2019, 7:17 PM IST

Updated : Dec 9, 2019, 9:20 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महासचिव राम माधव ने नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को लेकर कहा है कि CAB के खिलाफ विपक्षी दलों के तर्क भ्रामक हैं. यह बिल किसी को बाहर करने के लिए नहीं है बल्कि इसमें वे अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, जो पिछले सात दशक में भारत आए हैं.

राम माधव ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लेकर कहा है कि अगर CAB (Citizenship Amendment Bill) संसद के दो सदनों में पारित हो जाता है, तो यह संविधान का एक अधिनियम बन जाएगा. एक राज्य के सीएम के रूप में, वह (ममता बनर्जी) संविधान के प्रत्येक अधिनियम को लागू करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, यदि वह ऐसा करने से इनकार करती है, तो केंद्र तय करेगा कि क्या किया जाना चाहिए.

राम माधव का बयान

वहीं, दूसरी ओर खड़गपुर में ममता बनर्जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) से डरें नहीं, हम आपके साथ हैं, जब तक हम यहां हैं, कोई भी आप पर कुछ भी थोप नहीं सकता.'

खड़गपुर में एक सभा को संबोधित करतीं ममता बनर्जी.

ममता ने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते हुए बंगाल में कभी एनआरसी और कैब की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया.बनर्जी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा कि यह विभाजनकारी विधेयक है और इसका किसी भी कीमत पर विरोध होना चाहिए.उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में एनआरसी लागू होने के डर से अब तक तीस लोग आत्महत्या कर चुके हैं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया है. इस बिल पर चर्चा के बाद सदन में वोटिंग कराई जाएगी.

बता दें कि इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों (हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई, सिख) से संबंध रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है.

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हालांकि विपक्ष का आरोप है कि विधेयक में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां पर धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

इसके अलावा इस बिल का पूर्वोत्तर के राज्यों में भी प्रबल विरोध किया जा रहा है.

Last Updated : Dec 9, 2019, 9:20 PM IST

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