नई दिल्ली : भाजपा नेता विनीत गोयनका ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में शीर्ष अदालत से सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर के माध्यम से प्रसारित होने वाली फर्जी खबरों और भड़काऊ संदेशों पर नजर रखने के लिए सरकार और ट्विटर को निर्देश देने की मांग की गई है.
भाजपा नेता ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया है कि उचित मैकेनिज्म के अभाव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अलगाववादी एजेंडा, राजद्रोही सामग्री, समुदायों के बीच नफरत और बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ भड़काऊ और विभाजनकारी बातें फैलाने के लिए किया जा रहा है.
हाल के दिनों में सोशल मीडिया के माध्यम से के देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देते हुए समाज के कुछ वर्गों में दहशत पैदा करने की भी कोशिश की गई है.
सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई सामग्री की जांच के और उसे हटाने के लिए भारत सरकार को दिशानिर्देश देने की मांग करते हुए अपनी याचिका में भाजपा नेता ने कहा कि अनुच्छेद 19 और 20 के तहत नागरिक और व्यक्तिगत जीवन के अंतराष्ट्रीय करार के अनुसार सरकार ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए बाध्य है.
गोयनका ने इसके लिए जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने कुछ समय पहले अपने देश में घृणा फैलाने वाले भाषणों या विज्ञापनों के प्रसार को रोकने के लिए उक्त अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत 'नेटवर्क इंफोर्समेंट एक्ट, 2017' लागू किया है. इसलिए भारत को भी ऐसा ही कदम उठाने की जरूरत है
फर्जी अकाउंट मुद्दे को सामने रखते हुए उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जाने माने लोगों के नाम पर फर्जी अकाउंट बनाया जा रहा है और फर्जी खबरें फैलाने के लिए इसका इस्तमाल किया जा रहा है. हाल के दिनों में दिल्ली दंगों में भी फर्जी खबरों के जरिए घृणा फैलाए जाने की बाते सामने आई है.
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वहीं दूसरी तरफ आतंकवादी गतिविधियों का जिक्र करते हुए उन्होंने याचिका में बताया कि आईएसआईएस, अलकायदा और भारतीय मुजाहिदीन जैसे वैश्विक आतंकी समूह भी ट्विटर और अन्य सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्मों का उपयोग नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए करते रहे हैं.
याचिका में ट्विटर पर देश विरोधी ट्वीट का प्रसार करने और ऐसे ट्वीट के प्रसार को जान बूझकर नहीं रोकने के लिए भारत में ट्विटर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान बनाने के लिए कोर्ट से मांग की गई है.