रांची : झारखंड में पश्चिम सिंहभूम जिले में हुए नरसंहार को लेकर बीजेपी की 6 सदस्यीय जांच टीम को पुलिस ने घटनास्थल पर जाने से रोक दिया, जिसके बाद सभी नेता NH-75 पर बैठे रहे.
इसके कारण सड़क पर लंबा जाम लग गया. इसके बाद प्रशासन ने अपने वरीय पदाधिकारियों से अनुमति लेकर बीजेपी के प्रतिनिधमंडल को घटनास्थल पर जाने के नाम पर सोनुआ जाने की अनुमति दी.
सोनुआ गई बीजेपी की जांच टीम
सोनुआ के लिए जिला प्रशासन के पदाधिकारियों के काफिले के साथ बीजेपी की 6 सदस्यीय टीम रवाना हुई. सोनुआ पहुंचने के बाद प्रशासन ने फिर से 6 सदस्य टीम को घटनास्थल पर जाने से रोक दिया और 27 जनवरी के बाद घटनास्थल पर जाने की बात कहने लगे, जिसके बाद जांच टीम के साथ जिला प्रशासन की जमकर बहस हुई.
बीजेपी की टीम को पुलिस को रोका नहीं जाने दिया गया घटनास्थल
भाजपा की जांच टीम के सदस्यों ने सरकार की साजिश करार देते हुए फिर से सोनुआ मनोहरपुर मुख्य सड़क मार्ग पर धरने पर बैठ गए. इधर, जिला पदाधिकारियों की लाख सफाई देने के बावजूद भी जांच टीम अपनी बात पर अड़ी रही और घटनास्थल पर नहीं जाने देने के बाद अपनी गिरफ्तारी देने की भी मांग करने लगे, लेकिन जिला पुलिस प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी से भी इनकार कर दिया.
जिला प्रशासन के द्वारा उनकी गिरफ्तारी नहीं लेने और घटनास्थल पर भी नहीं जाने देने की बात कहने पर सांसदों ने जमकर हंगामा मचाया और सोनुआ थाना के बाहर ही धरने पर बैठ कर सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे.
आदिवासियों को धोखा दे रही सरकार
इस दौरान झारखंड सरकार में रहे पूर्व मंत्री सह खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि घटनास्थल पर नहीं जाने दिया जा रहा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार और पुलिस प्रशासन यहां के आदिवासी मूलवासी भाई-बहनों के साथ किस तरह का व्यवहार करती होगी. जब जनप्रतिनिधि को घटनास्थल पर नहीं जाने दिया जा रहा और 144 धारा लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि यह सरकार कहती है कि यह आदिवासियों की सरकार है, लेकिन यह सरकार आदिवासियों की घोर विरोधी सरकार है.
ये भी पढे़ं:प. बंगाल : बीजेपी का आरोप, टीएमसी ने लगाई दफ्तर में आग
आदिवासियों को मारा जा रहा है
आदिवासियों के साथ शोषण किया जा रहा है. आदिवासियों को मारा जा रहा है, जिसका उदाहरण है कि यह घटना 19 जनवरी की है और पुलिस को 22 जनवरी को इसकी सूचना मिलती है. सभी जानते हैं कि झारखंड की बनावट पहाड़ पर्वत नदी नाले के किनारे गांव बसे हुए हैं और इन्हीं के बीच हमारी व्यवस्था भी है. पुलिस को 3 दिन के बाद सूचना मिलती है कि 7 आदिवासियों की हत्या कर दी गई है. उसके बावजूद भी अब तक किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की गई है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदिवासियों के साथ किस तरह के व्यवहार कर रही है.
नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि यह हत्याएं जो हुई है. सरकार इस घटना को दूसरा रूप देना चाहती है. सरकार इसलिए इस घटना को मोड़ना चाहती है कि जब सरकार बनने के बाद कैबिनेट की बैठक हुई और कैबिनेट की बैठक में इस तरह का निर्णय लेने का काम किया, जिससे उनके मनोबल काफी बढ़ गए हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा पत्थलगड़ी के दर्ज मामलों को हटाए जाने की बात कही गई, जबकि मालूम होना चाहिए कि किसी भी मामले को हटाए जाने से पहले विधि से सहमति ली जानी चाहिए. सरकार को इन सब बातों पर विचार कर लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से अपने चुनावी एजेंडे को लेकर चुनाव जीतने का काम किया है. चुनावी एजेंडे में शामिल मुद्दों को लागू कर कई भाई-बहनों की हत्या करवा रहे हैं.
राज्यसभा और लोकसभा में उठाएंगे मामला
वहीं, राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि जिस प्रकार से यहां आदिवासियों की निर्मम हत्या हुई है. इस घटना को छुपाने के लिए हम लोगों को घटनास्थल पर नहीं जाने दिया गया और हम लोगों को रोके जाने का काम किया गया. समीर उरांव ने कहा कि घटनास्थल पर इसलिए नहीं जाने दिया जा रहा है ताकि उनकी वास्तविकता कहीं उजागर न हो जाए. उन्होंने कहा कि इसको लेकर राजभवन में जाकर धरना देंगे और पूरे राज्य में धरना प्रदर्शन करेंगे. राज्य सरकार की षड्यंत्र के तहत लोगों की हत्याएं हो रही है. इस मुद्दे को हमलोग लोकसभा और राज्यसभा में भी पुरजोर तरीके से उठाएंगे.