हैदराबाद: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन ने एक बार कहा था, अगर खेती सही नहीं होगी, तो दूसरे सेक्टर भारत को सही दिशा में नहीं ला सकते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि कितनी महत्वपूर्ण है.
हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है. देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाते हैं. वे एक प्रमुख किसान नेता थे. 2001 से हर साल किसान सम्मान दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई थी. हमारा देश कृषि प्रधान देश है. इसलिए किसानों के योगदान को उचित सम्मान मिलना जरूरी था. देश की 80 फीसदी ग्रामीण आबादी की मुख्य आमदनी कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियां हैं. जीडीपी में कृषि का योगदान करीब 15 फीसदी है.
चौधरी चरण सिंह ने कृषि को दिया था बढ़ावा
चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री रहे. किसानों की स्थिति बेहतर करने के लिए 1979 के बजट में उन्होंने कई नीतिगत बदलाव किए. इससे देशभर के किसानों का मनोबल बढ़ा. उन्होंने एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट बिल लाया. इसका मकसद किसानों को व्यापारियों के जाल से बचाना था. चरण सिंह के समय में जमींदारी समाप्ति कानून आया.
सबसे अधिक आत्महत्या कहां के किसानों ने की
2019 में 10281 लोगों (जो कृषि से जुड़े थे) ने आत्महत्या की. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारत में जितने लोगों ने इस साल आत्महत्या की, उनमें 7.4 फीसदी किसान थे. 2018 में यह आंकड़ा 10348 था.
सबसे अधिक आत्महत्या इन छह राज्यों में हुई- महाराष्ट्र (3927), कर्नाटक (1992), आंध्रप्रदेश (1029), मध्य प्रदेश (541), छत्तीसगढ़ (499) और तेलंगाना (499).
आत्महत्या की वजह
विश्व बैंक के 2017 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के 40 फीसदी लोग कृषि से रोजगार पाते हैं. आजादी के बाद भारत ने सबसे अधिक रोजगार कृषि में ही पैदा किया है. लेकिन खेती के बदले उन्हें बहुत अधिक रिटर्न नहीं मिलता है.
उधार देने के लिए सरकारी वित्तीय संस्थानों का अभाव, ऊंची दर पर ब्याज लेना. महंगाई बढ़ने पर एमएसपी का नहीं बढ़ाया जाना. महंगी होती खेती. मौसम. उत्पाद के रखरखाव का अभाव. फसल का नुकसान. समय पर बाजार नहीं पहुंचना.
सरकार ने क्या-क्या उठाए कदम
मोदी सरकार ने अप्रैल 2016 में ई-नाम (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) की शुरुआत की. इसका उद्देश्य कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराना है. सभी एपीएमसी इससे जोड़े जाने हैं. 1.6 करोड़ किसान इससे जुड़े हैं. मई 2020 तक ई-नाम पर 1,31,000 व्यापारियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. एक हजार से अधिक मंडियां ई-नाम से जुड़ चुकी हैं. अगले साल तक 22,000 मंडियों के जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके अलावा सरकार ने 'पीएम-किसान सम्मान निधि' योजना की शुरुआत की. इसके तहत किसानों को 6000 रु. सालाना दिया जाता है. हर चार महीने पर दो-दो हजार की किस्त दी जाती है. अधिक आमदनी वाले किसानों को इससे बाहर रखा गया है. सरकार के मुताबिक पीएम-किसान योजना से 14.5 करोड़ किसान परिवारों को फायदा पहुंचा है. पिछले एक साल में नौ करोड़ किसान इससे जुड़े.
बुजुर्ग किसानों के लिए 'पीएम मानधन योजना' के तहत पेंशन स्कीम लागू किया गया है. स्वॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम भी किसानों को मदद दे रही है.
अनाज उत्पादन की क्या है स्थिति
आजादी के समय 80 फीसदी ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर थी. तब 5 मिलि. टन अनाज का उत्पादन होता था. लेकिन यह भारत की आबादी के लिए पर्याप्त नहीं था. पहली पंचवर्षीय योजना बनाई जा रही थी, तब कृषि को केंद्र के अधीन रखा गया.