संबलपुर:सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन हेतु देश भर में अलग-अलग मुहिम के माध्यम से जानकारी दी जा रही है. ओडिशा भी इसमें पीछे नहीं है. यहां के संबलपुर जिले की एक संस्था (महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह) के लिए तो यह किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें काम करने वालीमहिलाओं द्वारा लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए साल के पत्तों से बनी प्लेटें बनाई जा रही हैं. प्लास्टिक के खिलाफ जागरूकता की इस मुहिम को प्रशासन द्वारा संरक्षण भी मिल रहा है.
प्रशासन द्वारा मिल रहा संरक्षण
जिला प्रशासन पारंपरिक विधि के बजाय प्लेटों को उन्नत तरीके से बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और मशीनरी प्रदान कर रहा है.
महिलाओं का यह प्रयास न केवल प्लास्टिक के उपयोग के खिलाफ जागरूकता फैला रहा है, बल्कि इन महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर भी बना रहा है.
निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही पत्तियां
इस क्षेत्र के घने जंगलों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने वाले साल के पत्ते इन महिलाओं को मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं. महिलाएं सुबह जंगल में जाती हैं और साल की पत्तियों को इकट्ठा करने के बाद, वन कार्यालय के प्रशिक्षण केंद्र में पत्तियों से पारंपरिक प्लेट और कटोरे तैयार करती हैं.
कैसे बनाई जाती हैं प्लेटें
हाथ से बनाई गई प्लेटों को धूप में सुखाया जाता है और सिलाई मशीनों में सिला जाता है. इन सिले हुए पत्तों की प्लेटों को एक मशीन में रखा जाता है और आकार दिया जाता है. यह प्लेटें पारंपरिक प्लेटों और कटोरे की तुलना में उच्च बाजार मूल्य प्राप्त करती हैं.