देहरादून : टेक्नोलॉजी ने हमारे कई कामकाज आसान बना दिए हैं. आज बैंक से जुड़ी सेवाओं सहित ज्यादातर काम ऑनलाइन किए जाते हैं. सहूलियत तो मिली, लेकिन इसके साथ जोखिम भी बढ़ा है. हाल में सामने आए एक सर्वे से पता चला है कि साल 2019 में साइबर अपराधियों ने भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है.
एक तरफ केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह कैशलैस बनाने पर जोर दे रही है, दूसरी तरफ साइबर अपराध लोगों की चिंताएं बढ़ाता जा रहा है. बेशक चाय-समोसे वाले से लेकर रोड साइड दुकानों पर भी ऑनलाइन पेमेंट मोड के इंतजाम अब दिखाई दे रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो कैशलेस लेन-देन पर साइबर हमले का खतरा बेहद बढ़ गया है.
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की मार्च 2020 की एक रिपोर्ट की मुताबिक, देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 3.4 फीसदी बढ़कर 74.3 करोड़ हो गई है. उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक, देशभर में 1.2 बिलियन सोशल मीडिया यूजर्स हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं. औसतन लोग ढाई घंटा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुजारते हैं.
भारत में साइबर क्राइम के तरीके
- राहत कार्यों के नाम पर चैरिटी और डोनेशन मांगने के रूप में कई सारी फर्जी वेबसाइटें ऑनलाइन तैयार की गई हैं. ऐसे में इन फेक वेबसाइटों से बचना बेहद जरूरी है. जबतक ऑफिशियल रूप से जांच पड़ताल कर वेबसाइट की जानकारी की सटीक पुष्टि न हो किसी तरह का डोनेशन या दान प्रक्रिया में न फंसे.
- ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी कई फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. ये वेबसाइट ओरिजनल कंपनियों की वेबसाइट जैसी ही दिखती हैं. इन फर्जी वेबसाइट पर दूसरी कंपनियों के मुकाबले बेहद सस्ते में प्रोडक्ट देने का प्रलोभन दिया जाता है.
- पासपोर्ट, लाइसेंस, आधार कार्ड बनाने जैसे दस्तावेजों के लिए भी कई फर्जी वेबसाइटें साइबर हैकर्स द्वारा इंटरनेट पर तैयार की गई हैं. इनसे बचने के लिए सरकारी वेबसाइट और पोर्टल के बारे में पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें तभी किसी दस्तावेज बनाने के लिए आवेदन करें.
- बैंक कर्मचारी और बैंक कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों से ठगी की जा रही है. ऐसे में बैंक या वॉलेट जैसे अन्य सुविधाओं के लिए संबंधित संस्थानों से आधिकारिक नंबर और ई-मेल प्राप्त करें और उन्हें अपने पास रखें.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से साल 2019 में साइबर क्राइम के 44,546 मामले दर्ज किये गये. साल 2018 में दर्ज साइबर क्राइम के 28,248 मामलों के हिसाब से यह संख्या 63.5 फीसदी अधिक है. आंकड़ों के हिसाब से साल 2017 में साइबर क्राइम की संख्या 21,796 रही थी. अनुमान के मुताबिक, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक प्रतिदिन इतनी बड़ी संख्या में लोग लगभग ढाई घंटा इंटरनेट की दुनिया में समय गुजार रहे हैं. इसी के दृष्टिगत तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर साइबर अपराधी इंटरनेट यूजर्स से लाखों करोड़ों रुपये की ठगी कर उनको अपना शिकार बना रहे हैं.
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इंटरनेट सर्च इंजन से बचे
भूल से भी इंटरनेट के सर्च इंजन में कस्टमर केयर नंबर ढूंढने की गलती न करें. कई बार अपराधी कस्टमर केयर से मिलता-जुलता नाम बनाकर उनकी जगह खुद का नंबर डाल देते हैं.
फोन पर निजी जानकारी देने से बचें
साइबर क्राइम की दुनिया में लंबे समय से फोन पर किसी की बैंकिंग या अन्य तरह की निजी जानकारी लेकर ठगी करने का कारनामा वर्षों से प्रचलित है. कई बार साइबर हैकर्स दोस्त-रिश्तेदार बनकर आपातस्थिति में बैंक की निजी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में किसी भी सूरत में फोन पर किसी से बैंक या अन्य तरह की निजी जानकारी साझा न करें.