हैदराबाद : बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर भारत और अमेरिका दोनों हस्ताक्षर करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. यह भारत और अमेरिका को भू-स्थानिक जानकारी साझा करने, सुरक्षा बलों की अंतर-क्षमता (interoperability) को सक्षम करने और सशस्त्र ड्रोन प्राप्त करने की अनुमति देगा. यह भारत कि लिए खाफी महत्वपूर्ण कदम है.
तीन नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले भारत और अमेरिका भू-स्थानिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते, बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं.
यह समझौता दोनों देशों को सैन्य जानकारी साझा करने और अपनी रक्षा साझेदारी को मजबूत करने में सक्षम बनाएगा. इसके लिए मंगलवार को 2+2 संवाद के तीसरे दौर के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है.
संयोग से भारत-अमेरिका वार्ता, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्ण सत्र के साथ शुरू होगी, जहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश की अगली पंचवर्षीय योजना जैसे महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों की समीक्षा करेंगे.
चार महीने पहले लद्दाख में 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत-चीन के बढ़ते तनाव को देखते हुए, इस समझौता को भारत-बीजिंग के साथ सैन्य अंतर को कम करने में मदद करने के रूप में देख जा रहा है.
समझौते को लेकर आई खबर ने चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने तीखी आलोचना की है.
बता दें कि, भारत और अमेरिका पहले ही तीन प्रमुख मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. इनमें 2002 में सामान्य सुरक्षा समझौते (GSOMIA), 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) और 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) शामिल है.
यह समझौते सुरक्षा और सैन्य जानकारी, अनुकूलता और सुरक्षा और रसद विनिमय और संचार के क्षेत्र को कवर करते हैं, लेकिन BECA पर एक दशक से अधिक समय से बातचीत चल रही है.
इस पर UPA सरकार के दौरान बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन UPA इस बात को लेकर चिंतित थी कि क्या यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगा. हालांकि, भारत ने अमेरिका से रक्षा खरीद को समाप्त कर दिया था. इसके बावजूद दोनों देशों ने पिछले 13 वर्षों में 20 बिलियन $ के रक्षा सौदे किए हैं.
क्या है BECA?
BECA अमेरिकी रक्षा विभाग और भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय भू-स्थानिक-खुफिया एजेंसियों के बीच प्रस्तावित एक संचार समझौता है. यह समझौता भारत और अमेरिका को उन्नत उपग्रह और टोपोग्राफिक डेटा जैसे नक्शे, समुद्री और भू-भौतिकी, भूभौतिकीय, भू-चुंबकीय और ग्रेविटी डेटा सहित सैन्य जानकारी साझा करने की अनुमति देगा. साझा की गई अधिकांश जानकारी अवर्गीकृत होगी.
भारत का क्या फायदा है ?
BECA अमेरिकी सेना द्वारा भारतीय सेना को उन्नत नौवहन सहायक और नेविगेशनल सहायता प्रदान करने की अनुमति देगा. BECA के माध्यम से अमेरिका के साथ भू-स्थानिक इंटेलिजेंस साझा करने से भारतीय सेना की स्वचालित हार्डवेयर प्रणालियों की सटीकता और क्रूज मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन जैसे हथियारों को बढ़ावा मिलेगा.
भारत-चीन सीमा गतिरोध के बीच यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके तहत अमेरिका से MQ-9B जैसे सशस्त्र ड्रोन प्राप्त करने की बात की गई है. BECA अमेरिका और भारत की प्रशांत सागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में सहायक होगा.
दोनों देश 'क्वाड' के दो अन्य सदस्यों ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी जुड़े हुए हैं.