नई दिल्ली :लोकसभा से बुधवार को बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक पारित हो गया. इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ग्राहकों के पैसा निकालने पर प्रतिबंध लगाए बिना किसी बैंक का प्रबंधन अपने नियंत्रण में लेने की अनुमति मिल जाएगी ताकि वह उस बैंक का पुनर्गठन या किसी अन्य बैंक के साथ विलय कर सके.
लोकसभा से बुधवार को इस बदलाव की स्वीकृति मिल जाने से आरबीआई को गड़बड़ी करने वाले किसी भी बैंक के प्रबंधन को हटा देने का अधिकार होगा और ग्राहकों को पैसे निकालने पर रोक लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसी व्यवस्था का नहीं रहना वर्ष 1949 के बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 45 में एक गंभीर चूक थी. उसके अनुसार, आर्थिक संकट से जूझ रहे बैंक के पुनर्गठन या किसी अन्य बैंक में विलय से पहले आरबीआई की ओर से लेन-देन पर रोक लगाने की शर्त थी, लेकिन इसने बैंकिंग प्रणाली में जमाकर्ताओं के भरोसे को निश्चित रूप से धूमिल किया.
इन संशोधनों से यस बैंक जैसी स्थिति दोबारा नहीं आए इससे रिजर्व बैंक को बचने की अनुमति मिल जाएगी. रिजर्व बैंक ने हाई प्रोफाइल व्यवसायी राणा कपूर की ओर से स्थापित यस बैंक के प्रबंधन बोर्ड को हटाने (सुपरसीड) करने का निर्णय लिया जिसकी वजह से पूरे बैंकिंग उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक के बारे में कहा कि धारा 45 का संशोधन वित्तीय प्रणाली में संभावित व्यवधानों को दूर करने के लिए है. इससे भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से पहले पैसा निकालने पर रोक लगाने का आदेश देने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आरबीआई बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या एकीकरण के लिए योजना तैयार कर पाएगा.
इसी साल मार्च में रिजर्व बैंक ने यस बैंक के प्रबंधन बोर्ड को सुपरसीड कर दिया था और बैंक के प्रति ग्राहक को अधिकतम 50 हजार रुपए तक ही निकालने की अनुमति दी थी.
इसने पूरे बैंकिंग उद्योग को सदमे में ला दिया. अपनी मेहनत से कमाए पैसे डूब जाने की आशंका से घबराए लाखों ग्राहक पैसे निकालने के लिए यस बैंक की शाखाओं के बाहर कतार में लग गए.