नई दिल्ली : पूर्वी असम के बागजान में तेल के कुएं नंबर पांच में अब तक गैस रिसाव हो रहा है. अगर मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन ठीक से किया गया होता, तो गैस रिसाव से हुई तबाही से पूरी तरह से बचा जा सकता था. जांच की प्रक्रिया में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को यह बताया.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, गैस रिसाव को सील करने के लिए 1,000-900 मीटर की गहराई पर विशेष सीमेंट की 100 मीटर लंबी ट्यूब लगाई गई थी, लेकिन सीमेंट को ठीक से लगने से पहले ही इसे खोल दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वहां ब्लो आउट (blow out) हुआ. ब्लो आउट कुएं से तेल या गैस के अनियंत्रित उछाल को कहते हैं.
वेटिंग ऑन सिमेंट (WOC ) को मूल रूप से 48 घंटे के लिए नियोजित किया गया था, लेकिन दूसरा बैरियर ब्लो आउट प्रोलेंटर (BOP) केवल 16 घंटों में हटा दिया गया. उस समय सीमेंट का नमूना सेट नहीं किया गया था.
नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने कहा कि बीओपी को कुएं में आगे काम करने के लिए हटाया जाना था.
गंभीर रूप से रिसाव को सील करने की योजना में सीमेंट प्लग की स्थिति और ताकत का सत्यापन शामिल नहीं था.
सूत्रों ने बताया कि ड्रिलर द्वारा गैस किक (गैस उछाल) का पता चलने के बाद, जॉन एनर्जी लिमिटेड के चालक दल के सदस्यों की प्रतिक्रिया प्रक्रिया के तहत ठीक नहीं थी. उन्हें तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए बीओपी को वापस लाना चाहिए था.