देहरादून :चारधाम में शामिल बदरी धाम के कपाट आज कर्क लग्न में शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए. कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ मंदिर को भव्यरूप से फूलों से सजाया गया. धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजा 13 नवम्बर से शुरू हो गयी थी. बता दें कि 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गये थे.
विजयदशमी पर्व पर बदरीनाथ धाम के परिक्रमा मंडप में पंचांग गणना के बाद आचार्य ब्राह्मणों की उपस्थिति में बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की थी.
पंच पूजायें-
- 13 नवम्बर को प्रातःकाल श्री गणेश जी की पूजा आराधना एवं देर शाम को भगवान गणेश जी के कपाट बंद हुए.
- 14 नवम्बर को मंदिर में भोग लगने के पश्चात दिन में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा पूजा-अर्चना के बाद भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट अर्थात पके चावलों का भोग चढ़ाया गया. आरती और दीप प्रज्वलन के बाद दिन में 2 बजे आदिकेदारेश्वर एवं आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद हुए.
- 15 नवम्बर को वेदों एवं धार्मिक पुस्तकों की पूजा के बाद देर शाम से श्री बद्रीनाथ धाम में वेद ऋचाओं का पाठ बंद कर दिया गया.
- 16 नवम्बर को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बदरीविशाल को भोग लगाने के बाद पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को न्यौता दिया गया.
- 17 नवम्बर को प्रात:काल भगवान का श्रृंगार एवं रावल जी द्वारा स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में विराजमान कर दिया जायेगा.
- अपराह्न पश्चात भगवान बदरी विशाल को घृतकंबल ओढ़ाने सहित रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया के साथ शाम 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जाएंगे.
- 18 नवम्बर को श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर तथा आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर में प्रस्थान एवं रात्रि विश्राम योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में होगा.
- 19 नवम्बर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी का पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा.