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मानसून की देरी : UP के सहारनपुर में बिगड़ रही है आमों की सेहत, 60-70 फीसदी कम पैदावार

भीषण गर्मी की मार से हर कोई हलकान है. साथ ही मानसून की देरी ने गर्मी के प्रकोप में और इजाफा कर दिया है. ऐसे में फलों के राजा आम पर मौसम की बेरुखी का असर देखा जा रहा है.

आम हुए खराब

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Published : Jun 28, 2019, 11:35 PM IST

सहारनपुर : आसमान से बरस रही आग और मानसून की देरी से जहां किसानों के खेत सूखने लगे हैं वहीं फलों के राजा आम के बागों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है विशेषकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जहां गर्मी के प्रकोप से आम के बागों को न सिर्फ कई बीमारियों ने अपनी चपेट में ले लिया है, बल्कि इसकी पैदावार में 60 से 70 फीसदी की कमी आई है. ऐसे में बागवानों की चिंता बढ़ने लगी है. बागवानों के लिए इस बार आम घाटे का सौदा बन सकता है.

आम हुए खराब

कम हुई आम की मिठास
सहारनपुर को फल पट्टी के नाम से जाना जाता है. यहां के बागों में पैदा हुआ आम भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी मिठास के लिए जाना जाता है. खट्टे अचार वाले आम से मीठे दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं मालदा समेत विभिन्न प्रजाति के आम विदेशियों के मुंह का स्वाद बने रहते हैं, लेकिन इस बार मानसून की देरी से यहां का आम फीका रह गया है. भीषण गर्मी के कारण आम के बागों में कई गंभीर बीमारियां लग गई हैं. इसे देखते हुए बागबानों ने समय से पहले ही आम की तुड़ाई शुरू कर दी है. इस बार आम की पैदावार कम होने से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है.

आम हुए खराब

बारिश और गर्मी का असर

इस साल गर्मी से बागों में बीमारियां बहुत फैली हैं. पेड़ों में सुंडी, चेप, कालापन समेत कई बीमारियों से आम खराब होने लगा है. इसके अलावा समय पर बारिश न होने से पेड़ पर लगे आम का आकार भी छोटा रह गया. ऐसे में जो आम 300 से 700 ग्राम तक होता था वह 100-150 ग्राम का ही रह गया है. यहां तक कि कुछ प्रजातियों के आम का वजन तो 1 से डेढ़ किलो तक हो जाता था. बारिश न होने से बागबानों के सपनों पर सूखा पड़ गया.

आम हुए खराब

हर साल एक पेड़ से 6 क्विंटल आम हो जाते थे. इस बार यह आंकड़ा काफी नीचे चला गया है. बारिश की कमी के चलते 60 प्रतिशत कम पैदावार हुई है. इसे देखते हुए हमें समय से पहले ही आम की तुड़ाई कर मंडी पहुंचाना पड़ रहा है.
-महादेव श्रीवास्तव, बाग ठेकेदार

बागवान आम को तोड़कर मंडी तो भेज रहे हैं, लेकिन इस सीजन में उनकी लागत भी पूरी नहीं हो रही है. ऐसे में अगर मौसम की मार इसी तरह पड़ती रही तो फलों का राजा आम बागों से ही नहीं मंडी से भी खत्म हो जाएगा.

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