कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के रहने वाले 64 वर्षीय बाबुल गुप्ता इस उम्र में भी DXing (रेडियो सिग्नल की पहचान करना) के शौकीन है. डीएक्सिंग (DXing) एक शौक है. दूर के रेडियो या टेलीविजन सिग्नल प्राप्त करने और पहचानने या शौकिया रेडियो में दूर के स्टेशनों के साथ दो-तरफा रेडियो संपर्क बनाने को डीएक्सिंग कहते हैं.
इसी शौक ने उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के बाबुल गुप्ता को दुनियाभर के 253 रेडियो स्टेशनों के साथ जोड़ा है. वह अंटार्कटिका से प्रेषित सिग्नल भी सुनते हैं और अंतरिक्ष से सिग्नल प्राप्त करने की खोज में लगे हैं.
जिला मुख्यालय के सुबर्णपट्टन इलाके के निवासी गुप्ता ने अपनी दो मंजिला इमारत के एक कमरे को एक मिनी शौकिया रेडियो स्टेशन में बदल दिया है. घर की छत एंटीना से भरी है.
ऐसा अजीबोगरीब शौक क्यों?
साल 1968 की बात करते हुए बाबुल कहते हैं कि तब वह 12 साल के थे और अखबारों में पढ़ा था कि मेलबर्न ओलंपिक की घटनाओं का रेडियो प्रसारण मेलबर्न रेडियो स्टेशन से होगा. उन्होंने पहली बार अपने पिता के रेडियो से प्रसारण सुनने का प्रयास किया, लेकिन वह चैनल का पता नहीं लगा सके. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.
बाबुल कहते हैं मैं बार-बार शॉर्ट वेव बैंड की कोशिश करता रहा और आखिरकार मैं मेलबर्न स्टेशन का पता लगा लिया. तब से, दूर के रेडियो स्टेशनों और उनके कार्यक्रमों को सुनना मेरे लिए शौक बन गया था. मैं अपने नाश्ते के पैसों से बचत करता था और बाद में उन पैसों से एंटीना खरीदता था. अंततः मैं अमेरिका, जापान, यूके (ब्रिटेन), रूस और कई यूरोपीय देशों से सिग्नल रिसीव कर सका. अब, मैं दुनियाभर के 253 रेडियो स्टेशनों को सुन सकता हूं.
विदेशी सिग्नल की खोज के दौरान उन्होंने अंटार्कटिका से रेडियो प्रेषण प्राप्त किया. बर्फीली भूमि में शोध कार्य करने वाले कुछ देश हर साल एक विशेष अवधि के दौरान अंटार्कटिका से रेडियो सिग्नल प्रसारित करते हैं.