दुर्ग: कहते हैं मन में अगर लगन और कड़ी मेहनत करने का जज्बा हो, तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. छत्तीसगढ़ का एक लाल आज भारतीय सैन्य अकादमी से निकलकर आर्मी अफसर बन गया. परिवार खुशी से झूम उठा है. हम बात कर रहे हैं भिलाई के अभिषेक सिंह की, जिन्होंने देश भर में अपने परिवार और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है.
देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी का गौरवशाली इतिहास है. ये सैन्य अफसरों का प्रशिक्षण केंद्र है. भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना 1932 में हुई थी. पहले बैच में 40 जेंटलमैन कैडेट्स का सेलेक्शन हुआ. वर्तमान में 62 हजार से ज्यादा सैन्य अफसर बन चुके हैं, जिनमें से 2500 विदेशी सैन्य अफसर शामिल हैं. उसी में एक छत्तीसगढ़ के लाल अभिषेक सिंह भी शामिल हैं.
भिलाई के अभिषेक बने सैन्य अफसर
भिलाई के खुर्सीपार जोन 2 के रहने वाले अभिषेक कठिन परिश्रम के बाद सिपाही बने. अभिषेक के इरादे मजबूत थे, उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा था. यही वजह है कि आज वे बुलंदियों को छू लिया हैं. अभिषेक सिपाही से एक अफसर तक का सफर तय कर चुके हैं. अभिषेक में बचपन से ही आर्मी में भर्ती होने का जुनून था. उनकी मां का भी सपना था कि उनका बेटा एक दिन आर्मी में भर्ती होकर अफसर बने.
अभिषेक के अफसर बनाने से पहले ही उनकी मां का निधन हो गया. उसके बाद से अभिषेक के पिता ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं और आज अपने बेटे को अफसर बनाकर दिखाया है.
12वीं के बाद से शुरू की आर्मी की तैयारी
ईटीवी भारत ने अभिषेक सिंह के पिता उमेश सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि अभिषेक शुरुआत से ही मेहनती थे. आर्मी में सिपाही भर्ती के दौरान एग्जाम देने के लिए दिन-रात मेहनत की थी. अब सिपाही से अफसर बनने पर पूरा परिवार काफी खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा है. अभिषेक ने 12वीं के बाद से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी.
2012 में 21वीं बटालियन में ज्वॉइन किया
अभिषेक सिंह के पिता ने बताया कि उनके बेटे ने वर्ष 2012 में 21वीं बटालियन में ज्वॉइन किया. अभिषेक को लगता था कि वह भी एक दिन ऑफिसर बनेंगे. आज उसका सपना पूरा हो गया. अभिषेक का पहली बार में सेलेक्शन नहीं हो पाया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उसके बाद 2017 में कड़ी मेहनत की. इंडियन मिलिट्री एकेडमी में उनका सेलेक्शन हुआ. सेलेक्शन होने के बाद ट्रेनिंग करके वे आज अफसर बन गए हैं.
मां कहती थी मेरा बेटा बनेगा आर्मी ऑफिसर
अभिषेक की मां हमेशा कहती थीं कि मेरा बेटा एक दिन जरूर आर्मी में भर्ती होगा. एक बड़ा अफसर बनेगा. आज उनकी कही बात सच हो गई, हालांकि वे बेटे को अफसर बनते नहीं देख पाईं. अभिषेक पांच साल के थे, तभी उनकी मां इस दुनिया को छोड़कर चली गईं. उसके बाद से उनके पिता ने ही माता-पिता दोनों का फर्ज निभाया. अपने बेटे को ऑटो चलाकर पढ़ाई भी कराई. एक पिता के परिश्रम ने बेटे को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है.
परेशानियों के बाद भी मेहनत करते रहे अभिषेक
अभिषेक की पत्नी मनीषा सिंह ने बताया कि परेशानियों के बाद भी उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा. उनके पति अपनी ट्रेनिंग के दौरान हर चुनौतियों को पूरा करके आज एक सिपाही से ऑफिसर बनने जा रहे हैं. मां की निधन के बाद उनके पिता ने स्कूली शिक्षा पूरी कराई. उसके बाद से अभिषेक कुछ अलग करके देश का गौरव बढ़ाने का ठान चुके थे और जो उन्होंने ठाना था आज उसे पूरा कर दिया.
मनीषा ने बताया कि देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग लेकर वह आज पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं. अफसर बनने के बाद वे पठानकोट में अपनी सेवाएं देंगे.