पटना : तिथि, काल, ग्रह, गोचर, दिशा और काम भारत के सामाजिक ताने-बाने में रीति रिवाज का ऐसा आयाम है, जिसे जोड़े बिना कोई भी कार्य नहीं होता है. तारीखें उन कार्यों की गवाह होती हैं, जो इतिहास के पन्नों में दरख्त के रूप में अंकित रहती हैं. हालांकि, वैज्ञानिक युग में तारीखों को शुभ-अशुभ के पैमाने पर तौलने के किसी भी फार्मूले को माना नहीं जाता है.
यह कहा तो जाता है लेकिन इस फार्मूले के बिना कोई चलता भी नहीं है. देश में चल रही नरेन्द्र मोदी की सरकार के लिए पांच अगस्त की तारीख बड़े निर्णयों के शुभ साबित हो रही है. यही वजह है कि नरेन्द्र मोदी सरकार पांच अगस्त को ऐसे कार्य कर रही है, जो बदलते भारत के इतिहास के पन्नों में अमिट लेख बन जाए. यह महज संयोग है या फिर सोच समझ कर लिया जा रहा निर्णय, यह अलग बात हो सकती है. साथ ही सियासत से अलग जाकर भी इसे देख जा सकता है. लेकिन पांच अगस्त एक ऐसी तारीख जरूर बनता जा रहा है जो भारत के लिए बड़ी लकीर खींच रहा है.
पांच अगस्त को मंदिर का भूमि पूजन
पांच अगस्त 2020 भारत के इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाली एक ऐसी तारीख होगी, जो 500 साल से ज्यादा समय से चले आ रहे विवाद के अंतिम पन्ना होगा. आस्था की भावना और जमीन के विवाद में उलझे अयोध्या को लेकर देश ने दर्द और विभेद का बहुत बड़ा खामियाजा भुगत चुका है. देश की न्यायपालिका से आस्था को मिले आदेश के बाद, अब जन भावनाओं के उस उम्मीद को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जो हिन्दुस्तान की बड़ी आबादी के लिए उसकी आस्था की आजादी है.
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच अगस्त को अयोध्या में बनने वाले मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे और मंदिर निर्माण का कार्य शुभरंभ हो इसकी आधारशिला रखेंगेंं. पांच अगस्त की तारीख और पूजन का समय वैदिक विधि से निकाला गया है. लेकिन भाजपा के शुभ अंक पांच अगस्त को ही यह होगा. यह बड़े संयोग की बात कही जा सकती है क्योंकि भाजपा के लिए यह शुभ तारीख है.