बेंगलुरु:दिव्य 7801 ब्रह्मवज्र कमलम अंगूठी नीलामी के लिए तैयार है. इस अंगूठी को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया जा चुका है. अब इस नायाब अंगूठी के लिए 13 से 20 नवंबर तक ऑनलाइन नीलामी आयोजित की जाएगी. नीलामी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं. आपको बता दें इस रिंग में कुल 7801 प्राकृतिक हीरे शामिल हैं.
2 नवंबर से शुरू हुई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
द डिवाइन 7801 ब्रह्मवज्र कमलम अंगूठी बनाने वाले शख्स का नाम कोट्टी श्रीकांत है. श्रीकांत हैदराबाद में द डायमंड स्टोर बाय चंदूभाई के मालिक हैं. सितंबर, 2020 में एक ही अंगूठी में बड़ी संख्या में हीरे लगाने के चलते इसका नाम गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. बोली लगाने वालों के लिए आरक्षित मूल्य 78,01,000 रुपये (लगभग US $ 104,692) निर्धारित किया गया है. बोली प्रक्रिया के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 2 नवंबर से शुरू हो चुकी है.
अंगूठी बनाने वाले कोट्टी श्रीकांत ने दिया बयान
अंगूठी ब्रह्मवज्र कमलम को बनाने वाले कोट्टी श्रीकांत ने कहा कि मुझे आभूषणों के सबसे अनूठे टुकड़े बनाने का जुनून है और अब मैंने ब्रह्मवज्र कमलम अंगूठी के साथ यह काम किया. मैं इस सफलता को साझा करने और इस कृति को वैश्विक ऑनलाइन नीलामी में प्रस्तुत करने के लिए उत्साहित हूं. मैं इस नीलामी से 10% आय का भुगतान पीएम केयर्स फंड को करना चाहूंगा. मैं इस अंगूठी की मेरी कलाकृति को पहचानने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड एजेंसी को धन्यवाद देता हूं.
रजिस्टर्ड नीलामीकर्ता को भेजा जाएगा पासवर्ड
जो लोग नीलामी के माध्यम से रिंग खरीदना चाहते हैं वे वेबसाइट 'www.thedivine7801.com' के माध्यम से खरीद सकते हैं. रजिस्ट्रेशन बंद होने के बाद एक यूआरएल, आईडी और पासवर्ड रजिस्टर्ड नीलामीकर्ता को नीलामी के लिए भेजा जाएगा. एक मान्य उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड वाले सभी बोलीदाताओं को वास्तविक समय में इस नीलामी में भाग लेने का अवसर मिलेगा.
'द डिवाइन 7801 ब्रह्मवज्र कमलम अंगूठी' की विशेषता:
अंगूठी का नाम 'ब्रह्म कमल' से प्रेरित है, जो हिमालय में पाया जाने वाला एक दुर्लभ फूल है. हीरे को संस्कृत और तेलुगु में वज्र कहा जाता है. फूल को द डिवाइन रिंग के डिजाइन के रूप में चुना गया था क्योंकि यह सबसे प्राकृतिक और शुद्धतम रूप में पूजा के लिए एक आम प्रसाद है. इस अंगूठी में इस्तेमाल किए गए सभी हीरे प्रमाणित प्राकृतिक हीरे हैं. इस अंगूठी की परिकल्पना सितंबर, 2018 में की गई थी और इसे पूरा होने में लगभग 11 महीने का समय लगा था. इसकी कुल छह परतें हैं, जिनमें से पांच परतों में आठ पंखुड़ियां हैं और छठी शीर्ष परत में छह पंखुड़ियां हैं, जिनके केंद्र में तीन पराग हैं.