प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पांच साल पहले मेक इन इंडिया पहल की घोषणा की थी तो इसे एक बुलंद लक्ष्य के रूप में देखा गया. अब कोरोना संकट के दौरान पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है. इसके तहत केंद्र ने विनिर्माण, मशीनरी, मोबाइल फोन-इलेक्ट्रॉनिक्स, जवाहरात-गहने, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा उद्योग जैसे 10 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जो भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. केंद्र सरकार एयर कंडीशनर, फर्नीचर और फुट वियर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
वास्तव में आत्मनिर्भर भारत कई इनोवेटिव प्रस्तावों के साथ आया है. इसका मकसद इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व पर लगाम लगाना है.
मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन का विस्तार करने के लिए पंपिंग के साथ सेमीकंडक्टर और संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की है.
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इस प्रतिष्ठित परियोजना का उद्देश्य बड़ी-बड़ी मोबाइल कंपनियों के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाना है. इस परियोजना से 5.89 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के अलावा 20 लाख नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई), 2012 के प्रभाव से भारत की आर्थिक क्षमता को लाभ हुआ है. भारत की घरेलू इंडस्ट्री को स्मार्टफोन के 33 करोड़ पुर्जे बनाने में कामयाबी मिली. साल 2019 के अंत में इसका मूल्य लगभग 2.14 करोड़ रुपये था.