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नागरिकता संशोधन विधेयक : AASU ने CAB को मानने से किया इनकार - गृहमंत्री अमित शाह

अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) ने नागरिकता संशोधन बिल मानने से इनकार कर दिया है. मंगलवार को नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और आसू के बीच इस मसले पर बैठक हुई थी. इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी थे. लेकिन आसू के पदाधिकारी गृहमंत्री के तर्कों से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने इस मसले पर फिर आंदोलन छेड़ने की घोषणा कर दी है.

सर्बानंद सोनोवाल
सर्बानंद सोनोवाल

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Published : Dec 3, 2019, 11:11 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 11:59 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) पर गृहमंत्री अमित शाह और अखिल असम छात्र संघ (AASU) के बीच बैठक हुई. हालांकि यह बैठक आसू और शाह के बीच थी. लेकिन मीटिंग में राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी हिस्सा लिया. बैठक में एएएसयू ने सीएबी को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वे फिर से आंदोलन करेंगे. खबर है कि बैठक से पूर्व अखिल गोगोई के संगठन कृषक जनमुक्ति मोर्चा ने सीएम को काले झंडे दिखाए.

यह घटना उस समय हुई, जब गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) की बैठक की अध्यक्षता करने पहुंचे. पूर्वोत्तर राज्यों में पिछले कुछ समय से CAB को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

सर्बानंद सोनोवाल को दिखाए काले झंडे

इससे पहले नार्थ ईस्ट फोरम फॉर इंडिजीनियस पीपुल (एनईएफआईपी) और ज्वॉइंट कमेटी ऑन प्रीवेंशन ऑफ इललीगल इमिग्रेंट्स (जेसीपीआई) ने इस बिल को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शमन किया था.

पढ़ें-नगालैंड में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ शांतिपूर्ण बंद

बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को सात साल भारत में रहने पर नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, पूर्वोत्तर के राज्यों के मूल बाशिंदों का मानना है कि प्रवासियों के आने से उनकी पहचान और रोजी-रोटी पर खतरा होगा .

बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के लोगों और कुछ संगठनों ने यह कहते हुए इस विधेयक का विरोध किया है कि यह 1985 की असम संधि के प्रावधानों को निष्प्रभावी बना देगा जिसमें उन सभी घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात कही गयी है जो 24 मार्च, 1971 के बाद आये, भले ही उनका धर्म कुछ भी क्यों न हो।

पिछले सप्ताह पूर्वोत्तर के 12 गैर भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रस्तावित विधेयक के दायरे से पूर्वोत्तर को बाहर रखने की अपील की थी और कहा था कि यदि यह प्रभाव में आ गया तो इस क्षेत्र की आदिवासी जनसंख्या पर विस्थापन का संकट मंडराने लगेगा।

मोदी सरकार ने संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की कार्यसूची में इस विधेयक को शामिल किया और वह उसे पारित कराने की जुगत में लगी है।

Last Updated : Dec 3, 2019, 11:59 PM IST

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