नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है. हालांकि संवैधानिक रूप से रंजन गोगोई के नामांकन में कुछ गलत नहीं है, इसके बावजूद कई लोगों का कहना है कि गोगोई सर्वोच्च संवैधानिक पद पर रहे हैं और उनके लिए राज्यसभा की सदस्यता को तरजीह देना कई सवाल खड़े करता है. इस पर पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी कुमार ने कहा कि उनकी राय में यदि जस्टिस गोगोई सलाह लेते तो वह उन्हें (गोगोई को) यही सलाह देते कि यह पद स्वीकार न करें.
अश्वनी कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि रंजन गोगोई के कार्यकाल के दौरान उनके कई फैसलों पर विवाद भी रहे हैं और अब सेवानिवृत्त होने के कुछ महीनों बाद ही राज्यसभा के लिए सरकार द्वारा उनको नामांकित किया जाना निश्चित तौर पर कुछ प्रश्न खड़े करता है कि क्या उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए जो निर्णय दिए होंगे, वो पूर्णतः निष्पक्ष रहे होंगे?